अस्पताल की लापरवाही से एक नवजात हो जाता जिंदा दफन , जानिए ख़बर
नई दिल्ली। दिल्ली के एक नामचीन अस्पताल की लापरवाही की वजह से एक नवजात को जिंदा दफन कर दिया जाता। अस्पताल ने नवजात को मृत घोषित करके परिजनों को सौंप दिया। मगर दफनाते समय नवजात के शरीर में हलचल होने पर परिजनों को उसके जिंदा होने का पता चला। पीड़ित परिजनों ने तुरंत सौ नंबर पर कॉल कर घटना की सूचना पुलिस को दी। वहीं, अस्पताल प्रबंधन का कहना है कि महिला का प्रसव नहीं, बल्कि गर्भपात हुआ था। ऐसे मामलों में अक्सर बच्चों की मौत हो जाती है। मामले की जांच के लिए टीम गठित कर दी गई है। पीड़ित पिता रोहित ने बताया कि उन्होंने पत्नी को रविवार सुबह पेट दर्द की शिकायत के बाद सफदरजंग अस्पताल में भर्ती कराया था। सुबह करीब सवा पांच बजे उन्हें डॉक्टरों ने बताया कि पत्नी को अविकसित बच्च पैदा हुआ है। बच्चे का वजन पांच सौ ग्राम से कम है और वह मृत है। इसके बाद डॉक्टरों ने उन्हें बच्च सौंप दिया। सुबह करीब आठ बजे नवजात को दफनाते समय रोहित को उसके शरीर में कुछ हरकत दिखी। इसके बाद जब उन्होंने नवजात को पॉलीथिन से बाहर निकालकर देखा तो उसकी सांसें चल रही थीं। रोहित ने तुरंत सौ नंबर पर कॉल करके घटना के बारे में पुलिस को बताया। सफदरजंग अस्पताल के ी रोग विभाग की प्रमुख डॉ. प्रीतिमा मित्तल ने बताया कि महिला का प्रसव नहीं , बल्कि गर्भपात हुआ था। बच्च साढ़े चार से पांच महीने का था और उसका वजन पांच सौ ग्राम से कम था, ऐसे में अक्सर बच्चे की मौत हो जाती है। अस्पताल के डॉक्टरों ने नवजात को मृत घोषित करने से पहले उसका चिकित्सीय परीक्षण किया था नहीं? इसकी जांच के लिए टीम गठित कर दी गई है। साथ ही इस मामले से जुड़े अन्य पहलुओं की भी जांच की जाएगी। पीड़ित परिजनों ने बताया कि नवजात के जिंदा होने की सूचना मिलने के बाद अस्पताल प्रबंधन ने उसे नर्सरी में दाखिल करा दिया है, जहां उसकी हालत स्थिर बनी हुई है। नवजात की सेहत पर सफदरजंग अस्पताल के डॉक्टरों की विशेष टीम नजर रख रही है। दक्षिणी दिल्ली पुलिस के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि इस मामले में पुलिस को पीड़ित परिवार द्वारा की गई पीसीआर कॉल के अलावा कोई लिखित शिकायत अभी तक नहीं मिली है। शिकायत मिलने के साथ ही इस मामले की जांच शुरू कर दी जाएगी। पुलिस ने अभी तक अस्पताल प्रबंधन से भी संपर्क नहीं किया है।