आधार डाटा के सेंट्रल डाटाबेस में पहुंचने के बाद साझा नहीं किया जा सकता: अजय भूषण पांडे
UIDAI प्रमुख ने अपने 80 मिनट के प्रेजेंटेशन में सुप्रीम कोर्ट को बताया कि आधार डाटा के सेंट्रल डाटाबेस में पहुंचने के बाद उसे साझा नहीं किया जा सकता है। इस डाटा को सिर्फ राष्ट्रीय सुरक्षा के आधार पर ही शेयर किया जा सकता है। दरअसल, आधार की सुरक्षा को लेकर सुप्रीम कोर्ट में कई याचिकाएं दायर की गई हैं। UIDAI प्रमुख का उद्देश्य कोर्ट और अन्य पक्षकारों को आधार डाटा की सुरक्षा के लिए किए गए उपायों से अवगत कराना था। UIDAI के मुख्य कार्यकारी अधिकारी अजय भूषण पांडे ने गुरुवार को आधार की सुरक्षा के लिए उठाए गए कदम को लेकर सुप्रीम कोर्ट में पॉवर प्वाइंट प्रेजेंटेशन दिया। उन्होंने मुख्य न्यायाधीश जस्टिस दीपक मिश्रा की अध्यक्षता वाली पांच सदस्यीय संविधान पीठ को बताया कि आधार डाटा की सुरक्षा के लिए ‘2048-एनक्रिप्शन की’ का इस्तेमाल किया गया है। हैकर इस सुरक्षा चक्र को नहीं तोड़ पाएंगे। पांडे ने कहा कि सुपरकंप्यूटर से भी इसे हैक करने में 13 अरब वर्ष लग जाएंगे। आधार से जुड़ी कई सूचनाएं लीक होने के बाद इसको लेकर चिंताएं बढ़ गई हैं। कुछ लोग इसे निजता का हनन भी बता रहे हैं। UIDAI के सीईओ अजय भूषण पांडे ने बताया कि प्राधिकरण के पास आधार नंबरों के सत्यापन से जुड़े रोजाना चार लाख मामले आते हैं, लेकिन उनके लोकेशन या लेनदेन के उद्देश्यों के बारे में जानकारी नहीं मांगी जाती है। उन्होंने कोर्ट को बताया कि 1 जुलाई, 2018 से फेस आइडेंटिफिकेशन भी अमल में आ जाएगा। इससे चेहरे को स्कैन कर भी आधार का सत्यापन किया जा सकेगा। हालांकि, न्यायाधीशों ने आधार नंबर न होने की स्थिति में विभिन्न सरकारी सेवाएं मुहैया न कराने की खबरों पर चिंता जताई। पीठ में शामिल जस्टिस एके. सीकरी ने झारखंड के मामले का उल्लेख किया। आधार कार्ड नहीं होने पर महिला को राशन नहीं दिया गया था। बाद में भोजन के अभाव में उसकी मौत हो गई थी। जस्टिस सीकरी ने UIDAI प्रमुख से पूछा कि इस तरह की समस्याओं से कैसे निपटा जाएगा, जबकि उसे पहले भी राशन मुहैया कराया गया था? अजय भूषण पांडे ने बताया कि इस मामले की जांच की गई थी। उन्होंने कहा, ‘हमलोगों ने जांच में पाया कि दुकानदार ने सिर्फ उसी महिला को नहीं, बल्कि अन्य लोगों को भी बायोमीट्रिक का मिलान न होने के कारण राशन के बिना लौटा दिया था। हालांकि, जिन्हें लौटाया गया उनका बायोमीट्रिक डाटा मैच कर रहा था।’ UIDAI प्रमुख ने कोर्ट को बताया कि प्रत्येक समस्या का समाधान आधार से नहीं किया जा सकता है।