स्कूलों से शारीरिक दंड समाप्त का सख्ती से अनुपालन : मेनका संजय गांधी
केन्द्रीय महिला और बाल विकास मंत्री मेनका संजय गांधी ने शारीरिक दंड समाप्त करने के लिए स्कूलों से महिला और बाल विकास मंत्रालय के राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग द्वारा जारी किये गये दिशा-निर्देशों का सख्ती से अनुपालन करने का अनुरोध किया है। महिला और बाल विकास मंत्रालय ने स्कूलों में शारीरिक दंड समाप्त करने के लिए दिये गये दिशा-निर्देशों के व्यापक प्रसार और कार्यान्वयन के लिए मानव संसाधन विकास मंत्रालय से अनुरोध किया है। ऐसा अभी हाल में एक स्कूल में अपना होमवर्क पूरा न करने पर स्कूल की छात्राओं को पीड़ादायक शरीरिक दंड दिये जाने की चिंतित करने वाली घटना को ध्यान में रखते हुए किया गया है। इस घटना का मीडिया में व्यापक रूप से प्रचार हुआ जिससे स्कूलों में दिये जाने वाले शारीरिक दंड के मुद्दे पर लोगों का ध्यान आकर्षित हुआ। महिला और बाल विकास मंत्रालय के अधिकार वाले राष्ट्रीय बाल अधिकारी संरक्षण आयोग (एनसीपीसीआर) ने स्कूलों में शारीरिक दंड को समाप्त करने के लिए दिशा-निर्देश तैयार करके जारी किये हैं। मानव संसाधन मंत्री प्रकाश जावड़ेकर को लिखे अपने पत्र में मेनका संजय गांधी ने उत्तर प्रदेश के एक स्कूल में चिंतित करने वाली शारीरिक दंड देने की घटना के बारे में चिंता व्यक्त की है। मेनका संजय गांधी ने कहा कि आरटीई एक्ट की धारा 17 के तहत शारीरिक दंड दिये जाने पर प्रतिबंध है। उन्होंने मानव संसाधन मंत्री से अनुरोध किया कि सरकारी तथा निजी स्कूलों को निर्देश दिये जायें कि वे दिये गये दिशा-निर्देशों का सख्ती से अनुपालन सुनिश्चित करें।