चुनाव आयोग ने सरकार से मांगे कुछ अधिकार, जानिये खबर …
नई दिल्ली। चुनाव आयोग जैसी संवैधानिक संस्था की मर्यादा का उल्लंघन करने और आयोग को खिलाफ अनाप-शनाप बोलने वालों पर अवमानना की कार्रवाई के अधिकार की मांग की गई है. चुनाव आयोग पर हुए ताजा हमलों के बीच आयोग ने सरकार से यह अधिकार मांगा है कि सुप्रीम कोर्ट और दूसरे न्यायालयों के तरह उसके पास भी अवमानना का अधिकार हो. सूत्रों के मुताबिक चुनाव आयोग से यह चिट्ठी करीब डेढ़ महीने पहले कानून मंत्रालय को भेजी है। इसमें आयोग को यह अधिकार देने की मांग है कि अगर उसके खिलाफ पक्षपात करने जैसी अपमानजनक टिप्पणियां हो तो उसे अवमानना के नोटिस जारी करने और कार्रवाई करने का अधिकार हो. हाल के दिनों में खासकर विपक्षी पार्टियों ने जिस तरह चुनाव आयोग पर सत्ताधारी दल के एजेंट के रूप में काम करने जैसे लांछन लगाए उससे आहत आयोग ने ऐसे लोगों या संगठनों को कानूनी कठघरे में खड़ा कर जिरह करने और सबक सिखाने की ठानी है. सरकार पत्र लिखकर अदालत की अवमानना अधिनियम 1971 में संशोधन कर चुनाव आयोग जैसी संवैधानिक संस्थाओं को भी इस अधिकार के दायरे में लाने की सिफारिश की है. आयोग ने इस बाबत पाकिस्तान चुनाव आयोग को मिले अवमानना की कार्रवाई के अधिकार का जिक्र भी किया है। आयोग ने संवैधानिक संस्थाओं के खिलाफ कुछ भी बोल जाने यहां तक कि आयोग और उसके सदस्यों की निष्ठा पर सवाल उठा कर छवि धूमिल करने को बड़ा सवाल माना है. इसके तार सीधे-सीधे आम आदमी पार्टी के नेता अरविंद केजरीवाल से जुड़ते हैं. केजरीवाल ने कुछ महीने पहले चुनाव आयुक्तों की निष्ठा पर राजनीतिक टिप्पणियां करते हुए कीचड़ उछाला था. लेकिन अब आयोग ऐसे ही लोगों और संस्थाओं को मर्यादा का पाठ पढ़ाना चाहता है. कानून मंत्रालय के अधिकारियों ने भी आयोग से आई इस पत्र की पुष्टि करते हुए कहा है कि सरकार आयोग की इस मांग पर विचार करेगी। चुनाव आयोग एक संवैधानिक संस्था है जो देश में लोकसभा विधानसभा, राष्ट्रपति और उपराष्ट्रपति जैसे महत्वपूर्ण पदों के चुनाव करने के लिए अधिकृत है. जनवरी – फरवरी में हुए विधानसभा चुनावों के परिणाम के बाद ईवीएम पर उठे शक और सवालों के बीच आयोग पर कुछ राजनीतिज्ञों ने पक्षपात करने के आरोप लगाए थे. जहां एक ओर बीएसपी जैसी पार्टी ने बैलेट से चुनाव कराने की मांग की थी वहीं कांग्रेस कई मामलों को लेकर अदालत चली गई. लेकिन सबसे तीखे हमले आम आदमी पार्टी की ओर से हुए. इसमें पार्टी ने पारंपरिक मीडिया से लेकर सोशल मीडिया पर चुनाव आयोग पर कई आरोप लगाए. अरविंद केजरीवाल ने तो चुनाव आयोग को धृतराष्ट्र तक कह डाला. बता दें कि लगातार महीने भर तक इस प्रकार के आरोप लगाने के बाद चुनाव आयोग ने ईवीएम चैलेंज नाम का कार्यक्रम भी रखा. इस कार्यक्रम में चुनाव आयोग ने सभी दलों को आमंत्रित किया और चैलेंज दिया कि वे ईवीएम को हैक कर दिखाएं या फिर साबित करें कि उनके आरोप सही हैं. इस चैलेंज में केवल लेफ्ट और एनसीपी के दल पहुंचे जिन्होंने बाद में यह कहा कि वे प्रक्रिया समझने आए थे. कुल मिलाकर चुनाव आयोग के कार्यक्रम में कोई दल अपनी बात साबित नहीं कर सका और एक बार फिर चुनाव आयोग ने साफ कहा कि ईवीएम के साथ छेड़छाड़ संभव नहीं है.ईवीएम टेपरिंग विवाद के बाद अब अदालतों की तरह ही चुनाव आयोग को भी अवमानना की कार्रवाई का अधिकार चाहिए. यानी आयोग ने कानून मंत्रालय को इस बाबत लिखा है. अपने संवैधानिक अधिकारों को लेकर अब तक लगभग सन्तुष्ट चुनाव आयोग ने परिस्थितियों के मद्देनजर यह पत्र सरकार को लिखा है ताकि लोग संवैधानिक संस्थाओं पर बेबुनियादी आरोप लगाकर उनकी छवि खराब न करें.