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दिव्यांग डिम्पी ने जीवन की दुश्वारियों को मजबूत इरादों से किया परास्त

dimpi

रुद्रप्रयाग | कौन कहता है कि आसमान में छेद नहीं हो सकता। एक पत्थर तो तबियत से उछालो यारो। कुछ ऐसा ही कारनामा कर दिखाया है अगस्त्यमुनि क्षेत्र की बालिकाओं ने। जिन्होंने विकट परिस्थितियों को मात देकर सफलता के झण्डे गाड़े हैं। उनकी इस सफलता पर उनके मां बाप तो गौरवान्वित महसूस कर ही रहे हैं, बल्कि पूरा क्षेत्र ही उनकी सफलता पर बधाई देते हुए गौरवान्वित हो रहा है। इसमें पहला नाम है डिम्पी बैंजवाल का, जिसने जीवन की दुश्वारियों को अपने मजबूत इरादों से परास्त किया है। उसने दिव्यांग होते हुए हाई स्कूल की बोर्ड परीक्षा 62 प्रतिशत अंक पाकर प्रथम श्रेणी में उत्तीर्ण की है। परीक्षा में 62 प्रतिशत अंक लाना कोई बड़ी उपलब्धि नहीं है, लेकिन विपरीत परिस्थितियों में खुद को स्थापित करने का जज्बा हर किसी में नहीं होता। दरअसल, बैंजी ग्राम के शिक्षक अरविन्द बैंजवाल की पुत्री डिम्पी पोलियोग्रस्त है और उसके दोनों पैर कार्य नहीं करते हैं। ऐसे में उसने किसी तरह वर्ष 2006 में आठवीं तक शिक्षा ले ली थी। उसके बाद उसकी पढ़ाई छूट गई। आठ साल बाद माता पिता की प्रेरणा से उसने अगस्त्यमुनि राबाइंका में प्रवेश लिया और अपनी पढ़ाई पुनः प्रारम्भ कर ली। उसकी लगन को देखते हुए उसके गांव के ही भूपेन्द्र बैंजवाल ने उसे स्कूल तक लाने तथा स्कूल से घर ले जाने की जिम्मेदारी ली। विद्यालय की प्रधानाचार्या श्रीमती विजया बड़थ्वाल ने बताया कि डिम्पी न केवल पढ़ाई में ही अच्छी है बल्कि विद्यालय में होने वाली अन्य गतिविधियों जैसे निबन्ध लेखन, भाषण प्रतियोगिता आदि में भी बढ़-चढ़कर प्रतिभाग करती रहती है। इस कड़ी में दूसरा नाम है स्यूर बांगर की रहने वाली मोनिका जिसने आर्थिक रूप से कमजोर पृष्ठभूमि की होने के उपरान्त भी हाईस्कूल बोर्ड परीक्षा में मेरिटसूची में 15 वीं रैंक हासिल की। विद्या मन्दिर अगस्त्यमुनि में पढ़ने वाली मोनिका की मां पठालीधार स्कूल में चतुर्थ श्रेणी में कार्यरत हैं। तथा बच्चों को अच्छी शिक्षा मिले इसलिए अगस्त्यमुनि में निवास करती हैं। मोनिका ने भी मां के संघर्ष की लाज रखते हुए उनके सपनों को ऊंची उड़ान दी है। इसी कड़ी में तीसरा नाम कृतिका रावत का है जिसने नोएडा के रामाज्ञा स्कूल में केन्द्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड की 12 वीं की परीक्षा में 94.4 प्रतिशत अंक लाकर विद्यालय में टाॅप किया है। कृतिका के माता पिता उत्तराखण्ड विद्यालयी शिक्षा में प्रवक्ता पद पर कार्यरत हैं। पिता हर्षवर्धन रावत राजकीय शिक्षक संघ जनपद रुद्रप्रयाग के अध्यक्ष भी है। कृतिका ने केन्द्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड से पढ़ाई करने का निश्चय किया और नौंवी कक्षा से ही अपने मामा के साथ नोएडा में पढ़ाई कर रही है। घर एवं मां बाप से दूर रहकर विद्यालय में टाॅप करना अपने आप में एक मिशाल है।

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