धरना : हम करे तो अराजक और बीजेपी करे तो लोकतान्त्रिक
आम आदमी पार्टी के नेता संजय सिंह ने कहा की केजरीवाल जब मुख्यमंत्री रहते धरना पर बैठे थे तो सबसे ज्यादा हाय तौबा बीजेपी ने मचाई थी , मीडिया द्वारा भी इस मुद्दे को आगे बढ़ाया गया था |बड़ा आश्चर्य हुआ कि इक्कीसवी सदी के भारत में पहली बार प्रचंड बहुमत से बनी केंद्र सरकार को न केवल संसद परिसर में धरना पर बैठना पड़ा बल्कि अपने सभी ( लगभग 300 से भी अधिक ) सांसदों के साथ लोकतंत्र बचाओ लोकतंत्र बचाओ के नारे के साथ मार्च भी करना पड़ा ? आखिर क्यों ?. इसके पहले विदित हो की ४९ दिन के समय में केजरीवाल सरकार ने जब महिला सुरक्षा पर धरना दिया था तो केजरीवाल सरकार को बीजेपी अराजकता और नौटंकी की उपाधि से नवाजा था |वही आप नेता आशुतोष का कहना है इसे राजनीति का खेल कहे या समय का कालचक्र | केजरीवाल जब सडको पर उतरे तो उन्हे मशवरा दिया गया था की, सत्ता मे रहते हुए वो लोग सडको पर उतर कर देश को क्या संदेश देना चाहते है? आप सत्ता मे हो, आप काम करो, सडको पर उतरने की नौटंकी मत करो और आज पूरा का पूरा केन्द्रीय मंत्रीगण सडको पर उतरा है |