पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी हुए पंचतत्व में विलीन, पुत्री ने दी मुखाग्नि
देश के पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी आज शाम पंचतत्व में विलीन हो गए। दिल्ली के स्मृति स्थल पर राष्ट्र ने उन्हें नम आंखों से अंतिम विदाई दी। वाजपेयी की दत्तक पुत्री नमिता भट्टाचार्य ने उन्हें मुखाग्नि दी। इस दौरान वहां मौजूद सभी लोग हाथ जोड़े खड़े रहे। सभी की आंखों में आंसू थे। नातिन निहारिका ने वाजपेयी के पार्थिव शरीर पर से तिरंगा ग्रहण किया। उस पल स्मृति स्थल पर मानों घड़ी की सुई कुछ देर के लिए थम गई, पूरा माहौल गमगीन था। बेटी, नातिन और परिवार के लोग ही नहीं स्मृति स्थल पर मौजूद हर किसी की आंखों में आंसू थे। वाजपेयी का अंतिम संस्कार पूरे राजकीय सम्मान के साथ संपन्न किया गया। उनका शरीर भले ही अब इस दुनिया में नहीं है पर उनके अटल विचार, सिद्धांत और नैतिक मूल्य हमेशा देशवासियों का मार्गदर्शन करते रहेंगे। अटल ने कविता के जरिए पहले ही अपने अंतिम सफर का जिक्र करते हुए कहा था, ‘मौत की उम्र क्या है? दो पल भी नहीं, जिंदगी सिलसिला, आज कल की नहीं। मैं जी भर जिया, मैं मन से मरूं, लौटकर आऊंगा, कूच से क्यों डरूं?’ देश-विदेश में बसे भारतीय अब उनकी इन पंक्तियों के जरिए अपने प्रिय नेता को याद कर रहे हैं। सियासत की दुनिया का उन्हें ‘अजातशत्रु’ कहा जाता था क्योंकि उन्होंने हमेशा दोस्त बनाए, दुश्मन उनका कोई नहीं था।