महिलाओं को सुरक्षा और समान अधिकार देश की पहली प्राथमिता : राष्ट्रपति
अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस के उपलक्ष्य में आज यहां राष्ट्रपति भवन में आयोजित एक कार्यक्रम में राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने वर्ष 2015 के लिए नारी शक्ति पुरस्कार प्रदान किए। इस अवसर पर राष्ट्रपति ने कहा कि हमें यह बात याद रखनी चाहिए कि चाहे वे समाज के पुरूष हों या महिलाएं, उन सभी को सुरक्षा, शांति और सम्मान के साथ जीने का अधिकार है। उन्होंने कहा कि आज के युग में भी महिलाओं को बर्बर आचरण और हिंसा का सामना करना पड़ता है, जिसे किसी भी हाल में बर्दाश्त नहीं किया जा सकता है। हिंसा या भय से लोगों में और खासतौर से महिलाओं तथा बच्चों में विकास करने और आजादी के साथ जीने की भावना में कमी आ जाती है। इसके साथ ही हमारे समाज का पतन इसलिए भी होता है, क्योंकि हम महिलाओं के साथ कभी-कभी अमानवीय व्यवहार करने लगते हैं, जबकि हमें महिलाओं को सुरक्षा और उन्हें समान अधिकार देने चाहिए। उन्होंने कहा कि आज के दिन हम सबको, सरकार को और सिविल सोसायटी को यह शपथ लेनी चाहिए कि हम अपनी माताओं और बहनों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए कानूनी, प्रशासनिक और अन्य उपायों का मिलकर विकास करेंगे। राष्ट्रपति ने कहा कि महिलाओं को शक्ति संपन्न बनाना बहुत जरूरी है। इसके लिए हमें अपनी मानसिकता दुरूस्त करनी होगी। लोगों को यह जानना चाहिए कि महिलाओं को घरों और कार्यस्थलों पर निडर और स्वतंत्र होकर काम करने का माहौल प्रदान करके समाज का ही हित होगा। समावेशी आर्थिक विकास और सामाजिक प्रगति के लिए लैंगिक समानता की बहुत आवश्यकता होती है। इसके लिए आवश्यक है कि संसाधनों तक महिलाओं की पहुंच बनाई जाए और उन्हें संसाधनों पर नियंत्रण करने का अधिकार दिया जाए। इसके साथ ही लड़कियों और महिलाओं के लिए स्वास्थ्य और पोषण की भी बहुत अहमियत होती है। महिलाओं का स्वास्थ्य सुधार कर हम परिवारों और समुदायों में उनके योगदान को बढ़ा सकते हैं और इस तरह भावी पीढ़ियों के लिए नज़ीर पेश कर सकते हैं।