व्हाट्सएप के ’डबल ब्लू टिक’ को सबूत मानकर कोर्ट ने सुनाया फैसला
नई दिल्ली। शीर्ष अदालतों को पेपरलेस बनाने की योजना का असर अब निचली अदालत में भी देखा जा रहा है। मामला रोहिणी जिला अदालत से जुड़ा है, जहां एक सत्र न्यायाधीश ने प्रतिवादियों को व्हाट्सएप पर मिले अदालत में हाजिर होने की सूचना को समन प्राप्त करना मान लिया और अंतरिम फैसला भी सुना दिया। व्हाट्सएप पर मिले समन को प्राप्ति मान लेने का ऐसा मामला देश की किसी निचली अदालत में पहली बार है। सुनवाई के दौरान अदालत को बताया गया था कि समन सर्विस कराने गए कर्मी को कोई प्रतिवादी नहीं मिला। ऐसे में कोर्ट की ओर से उन्हें भेजा गया समन बिना प्राप्ति के वापस आ गया है। रोहिणी कोर्ट के सत्र न्यायाधीश सिद्धार्थ माथुर की अदालत ने कहा कि यह रिपोर्ट किया गया है कि मामले में प्रतिवादियों को सुनवाई की तारीख पर हाजिर होने के लिए भेजा गया समन बिना प्राप्ति के ही वापस आ गया है। लेकिन अदालत में वादी ने एक शपथपत्र दाखिल किया है, जिसमें कहा गया है कि प्रतिवादियों को व्हाट्सएप से समन भेजा गया है। इसे उन्होंने प्राप्त कर लिया है। दरअसल, मामले में ससुर ने पारिवारिक विवाद में अपनी बहू, उसके मां-बाप और उसके दोस्तों को व्हाट्सएप पर नोटिस भेजा। जब मैसेज उनके फोन में पहुंचा तो उन्होंने इसपर क्लिक किया जिसकी वजह से ससुर के व्हाट्सएप में श्नीले डबल टिकश् आ गए। ससुर ने इसका प्रिंटआउट निकलवाया और कोर्ट में बतौर सबूत जमा करवा दिया कि बचाव पक्ष को नोटिस सौंप दिए गए हैं। ऐसे में यह साफ है कि प्रतिवादियों को कोर्ट की सुनवाई के बारे में जानकारी थी। इसके बाद अदालत ने प्रतिवादियों को वादी के ∂लैट में जबरन घुसने पर रोक लगा दी। हालांकि, मामले में अदालत ने प्रतिवादियों को नए सिरे से समन भेजने का निर्देश देते हुए अगली तारीख 24 मई को मुकर्रर कर दी।
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