शहर और गांव हो तो भुयासारी गांव जैसा , जानिए खबर
देहरादून/जौनपुर | एक तरफ शहर का चकाचौध भरा जीवन तो दूसरी तरफ एक गांव ऐसा भी जहाँ 100 साल से चली आ रही है ऐसी परंपराए शराब और मांस खाना है वर्जित। थत्यूड़ से लगभग 5 से 7 किलो मीटर आगे एक गांव है भुयासारी विकासखंड जौनपुर टिहरी गढ़वाल है। यहां आज भी परम्परा गत शराब और मांस खाना है वर्जित है | यदि देश में शहर और गांव “भुयासारी गांव” जैसा हो तो देश की आधी समस्या दूर हो सकती है |
सूचना एवं लोक सम्पर्क विभाग उत्तराखंड देहरादून में कार्यरत सुरेश भट्ट अपने एक यात्रा के दौरान इस विषय पर सोशल मीडिया पर यह जानकारी दी , उन्होंने बताया यहां एक बुजुर्ग मिले जिनका नाम इंद्रदेव नौटियाल उम्र 84 साल। उनसे बातचीत की तो उन्होंने बताया कि उनके गांव में पिछले 100 से भी ज्यादा समय से कोई भी व्यक्ति न शराब पीता है और न ही मांस खाता है। जब उनसे पूछा कि आज तो समय बदल गया शादी बारात में तो चलता ही होगा, तो वह बोले कि सवाल ही नही है, उनके गांव और आस पास के गांव में आज भी लोग इस नियम को मानते है। उन्होंने बताया कि इस क्षेत्र में भगवान शिव की पूजा अलग अलग रूप में होती है। उनके गांव में कोडेश्वर नाम से भगवान शिव का मंदिर हैए जो उनके इस्ट देव भी है। इसके अलावा भगवान शेषनाग की भी पूजा की जाती है। नौटियाल ने बताया कि उनके यहाँ हर किस्म की खेती होती है। खुद उनके 282 नाली जमीन है, जिसकी चकबंदी उन्हीने खुद की है। यहाँ के लोग संस्कार और सेवाभाव में सबसे अलग है। नौटियाल आज 84 की उम्र है लेकिन कोई बीमारी नही है आंखे ठीक है और आज भी अपने खेत से लेकर सब काम खुद करते है। सुरेश भट्ट ने इस पर अपनी प्रतिक्रिया में कहा की बात सोचने वाली लगी कि जब आज सब जगह पहाड़ को शराब के नाम पर ही बदनाम किया जा रहा हो तब ऐसे गाँव हम सबको प्रेरणा देते है कि अगर हम स्वयं से ऐसी शुरुआत करे तो शराब के बढ़ते प्रभाव पर अंकुश लगया जा सकता है। इस विषय को देखे तो सच ही कहा गया पुराना सौ दिन नया एक दिन , यदि पुराने लोगो के विचार और उनके संरक्षण में समाज आगे बड़े तो बहुत से समाजिक समाधान का हल निकल सकता है |
More from my site