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सामाजिक बदलाव में भागीदार बने बैंकिंग क्षेत्र : सीएम हरीश रावत

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देहरादून । मुख्यमंत्री हरीश रावत ने कहा कि बैंक सामाजिक बदलाव में राज्य सरकार के सहयोगी की भूमिका निभाएं। माइक्रो फाइनेंस का लाभ ग्रामीण क्षेत्रों तक पहुंचाने के लिए एसएचजी(स्वयं सहायता समूहों) व पीएसीएस (प्राईमरी एग्रीकल्चर कापरेटिव सोसायटियों) को सशक्त किए जाने की आवश्यकता है। मंगलवार को एक स्थानीय होटल में नाबार्ड द्वारा आयोजित स्टैट क्रेडिट सेमिनार 2016-17 में बतौर मुख्य अतिथि बोलते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि कृषि, माइक्रो इंडस्ट्रीज, व पर्यटन व इनसे संबंधित क्षेत्रों में वित्तीय संसाधन की उपलब्धता के लिए बैंक स्पष्ट पालिसी बनाएं। वंचित वर्गों को सरकार की योजनाओं के लाभ पहुंचाने के लिए बैंकों को संवेदशीलता से काम करना होगा। वर्ष 2016-17 के लिए सम्भाव्य स्टेट क्रेडिट प्लान तैयार करने पर नाबार्ड की सराहना करते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि इससे राज्य सरकार को मदद मिलेगी और बैंकों को भी ऋण संबंधी निर्णय लेने में आसानी होगी। उन्होंने कहा कि उत्तराखंड की विकास दर राष्ट्रीय औसत व हिमाचल प्रदेश से कहीं अधिक है। परंतु इसका दूसरा पहलु यह भी है कि एक बड़ा तबका विकास के लाभ से अभी भी वंचित है। प्रदेश सरकार अपनी विभिन्न पेंशन योजनाओं से इन वर्गों को सामाजिक सुरक्षा प्रदान करने का प्रयास कर रही है। वहीं ग्रामीण अर्थव्यवस्था को पुनर्जीवित करने के लिए कृषि, पशुपालन, हस्तकला जैसे क्षेत्रों को बल दिया जा रहा है। हम स्थानीय उत्पादों के लिए विभिन्न बोनस स्किमों से मांग सृजित कर रहे हैं। मगर इन प्रयासों को स्थायित्व देने के लिए अन्य सपोर्टिव मेकेनिज्म बनाना होगा। इसके लिए फाईनेंस उपलब्ध करवाने में बैंकों को सक्रिय भागीदारी निभानी होगी। श्री रावत ने कहा कि रूरल ट्रांसफोरमेशन में स्वयं सहायता समूहों की बड़ी भूमिका है। एसएचजी व पीएसीएस को माइक्रो फाईनेंस के क्षेत्र में सशक्त करने के लिए सचिव वित्त अमित नेगी को एक काम्पे्रहेंसिव प्लान तैयार करने के निर्देश दिए। बैंकों को अपनी ऋण प्रक्रियाओं को सरल बनाना चाहिए। बैंकों के माध्यम से ऋण उपलब्ध करवाने संबंधी नियमों को सरल बनाए जाने की आवश्यकता है। मुख्यमंत्री ने इसके लिए सचिव वित्त को एक समिति बनाने के निर्देश दिए जिसमे कि बैंकों, आरबीआई, सहकारी क्षेत्र, किसान समूहों के प्रतिनिधि शामिल हों। बैंकर्स ट्रेनिंग इंस्टीट्यूट स्थापित करने की सम्भावना देखी जाएगी। मुख्यमंत्री ने कहा कि हम पहले राज्य हैं जहां वाटर बैंकिंग पर काम किया जा रहा है। हिमालयी क्षेत्र में पानी को एकत्र कर लिया जाए तो इससे पूरे देश को राहत मिलेगी। नाबार्ड व आरबीआई आउट आॅफ बाॅक्स सोचें तो पानी के संग्रहण में उत्तराखंड माॅडल स्टेट हो सकता है। नाबार्ड के मुख्य महाप्रबंधक सीपी मोहन ने बताया कि नाबार्ड द्वारा राज्य के लिए जिलावार सम्भाव्यतायुक्त ऋण योजना वार्षिक आधार पर तैयार की जाती है। इसका मुख्य उद्देश्य सामयिक आधार पर क्षेत्रवार, ब्लाॅकवार आंकलन तैयार करते हुए ऋण सम्भाव्यता का दोहन करने के लिए एक समुचित व कार्यान्वित की जाने वाली नीति तैयार करना है।

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