हमें विश्वविद्यालयों का विकास उच्चतर शिक्षा के मंदिरों के रूप में करना चाहिए : राष्ट्रपति
इस अवसर पर बोलते हुए राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने कहा कि हमें विश्वविद्यालयों का उच्चतर शिक्षा के मंदिरों के रूप में विकास करना चाहिए। उन्हें अध्ययन वातावरण के सृजन का स्थान होना चाहिए जहां विचारों का स्वतंत्र आदान प्रदान हो सके और छात्रों एवं शिक्षकों के रूप में ताकतवर मस्तिष्क आपस में विचारों का आदान प्रदान कर सकें। उस्मानिया विश्वविद्यालय की स्थापना इसी ध्येय के साथ की गई थी कि यह उत्कृष्टता का एक ऐसा संस्थान बनेगा जहां स्वतंत्र मस्तिष्क स्वतंत्रता के साथ विचारों का आदान प्रदान कर सकें, आपस में बातचीत कर सकें और शांतिपूर्ण सह अस्तित्व के साथ रह सकें। राष्ट्र्पति महोदय ने कहा कि प्राचीन समय में भारत ने उच्चतर शिक्षा के क्षेत्र में अग्रणी भूमिका निभाई थी। तक्षशिला, नालंदा, विक्रमशिला आदि जैसे विश्वविद्यालयों ने छात्रों एवं शिक्षकों के रूप में ताकतवर मस्तिष्कों को आकर्षित किया था। राष्ट्र्पति महोदय ने कहा कि इसमें कोई शक नहीं कि आज उच्चतर शिक्षा के क्षेत्र में शैक्षणिक अवसंरचना में प्रचुर विकास हुआ है। बहरहाल, अभी भी चिंता के कुछ क्षेत्र हैं।