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आपदा से हुए नुकसान का जायजा लेकर लौटे केन्द्रीय दल ने की मुख्यमंत्री से मुलाक़ात

देहरादून | प्रदेश के जनपद उत्तरकाशी एवं चमोली जनपदों में आपदा से हुए नुकसान का जायजा लेने गृह मंत्रालय के संयुक्त सचिव श्री संजीव कुमार जिन्दल के नेतृत्व में आये केन्द्रीय दल के सदस्यों ने शुक्रवार को सांय मुख्यमंत्री श्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत से मुख्यमंत्री आवास पर भेंट की। मुख्यमंत्री श्री त्रिवेन्द्र ने कहा कि पर्वतीय क्षेत्रों में दैवीय आपदा के मानकों में शिथिलता होनी चाहिए तथा पर्वतीय क्षेत्रों की भौगोलिक परिस्थितियों के अनुसार सहायता राशि में भी तद्नुसार वृद्धि होनी चाहिए ताकि आपदा में प्रभावित लोगों को और अधिक प्रभावी ढंग से मदद की जा सके। उन्होंने कहा कि आपदा के समय रक्षा मंत्रालय ने विशेष सहयोग देकर आपदा में फंसे लोगों को हेलीकाॅप्टर के माध्यम से निकाला। वहीं प्रदेश सरकार ने अपने वित्तीय संसाधनों से पीड़ितों को राहत पहुंचाने का पूरा प्रयास किया है। मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र ने कहा कि राज्य सरकार ने केंद्र के सहयोग से सड़क, बिजली, पेयजल योजनाओं का पुनर्निर्माण कराने के साथ ही पीड़ितों को हरसम्भव मदद देने का प्रयास किया है। परन्तु आपदा से हुए नुकसान की व्यापकता को देखते हुए आधारभूत सुविधाओं की पुनस्र्थापना के लिए और अधिक सहायता राशि की आवश्यकता है। केन्द्रीय दल के अध्यक्ष संजीव कुमार जिन्दल ने मुख्यमंत्री को बताया कि उनके दल ने प्रभावित जिलों का दौरा कर आपदा से हुए नुकसान का जायजा लेने के साथ ही इससे संबंधित सूचनाएं संकलित की है। अब जल्द ही उनके द्वारा केंद्र सरकार को रिपार्ट सौंप दी जाएगी। इससे पूर्व संजीव कुमार जिन्दल, संयुक्त सचिव, गृह मंत्रालय, भारत सरकार की अध्यक्षता में गठित 07 सदस्यीय अन्तरमंत्रालयीय केन्द्रीय दल ने उत्तराखण्ड के आपदा प्रभावित क्षेत्रों के भ्रमण के पश्चात सचिवालय में मुख्य सचिव श्री उत्पल कुमार सिंह के साथ ही अन्य उच्चाधिकारियों से आपदा से हुए नुकसान पर चर्चा की। इस अवसर पर सचिव आपदा प्रबंधन श्री अमित नेगी ने बताया कि राज्य सरकार द्वारा आपदा जोखिम न्यूनीकरण हेतु विभिन्न कदम उठाए गये हैं। इसके लिए आपदा प्रबन्धन विभाग, उत्तराखण्ड राज्य आपदा प्रबन्धन प्राधिकरण, स्टेट डिजास्टर रिस्पाॅंस फोर्स, आपदा न्यूनीकरण एवं प्रबन्धन केन्द्र, राज्य एवं जिला आपातकालीन परिचालन केन्द्रों की स्थापना की गयी है। उन्होंने कहा कि राज्य सरकार द्वारा सामुदायिक स्वयंसेवकों को प्रशिक्षण भी दिया जा रहा है। प्रशिक्षित लोगों की जानकारी आपदा प्रबन्धन विभाग की वेबसाईट पर भी उपलब्ध है ताकि आपदा जैसी परिस्थितियों में प्रशिक्षित लोगों से सहायता हेतु तुरन्त सम्पर्क किया जा सके। उन्होंने बताया कि आॅटोमैटिक वेदर स्टेशन एवं भूकम्प हेतु अर्ली वाॅर्निंग सिस्टम आदि की स्थापना की जा रही है। प्रभारी सचिव, आपदा प्रबन्धन श्री एस. मुरूगेशन ने केन्द्रीय दल को अवगत कराया कि वर्ष 2019 के मानसून सत्र में अब तक कुल 59 मृत्यु, 57 घायल एवं 04 लापता हैं। इसके साथ ही पशु हानि में 92 बड़े एवं 319 छोटे पशुओं की भी हानि हुयी है। प्रभारी सचिव श्री मुरूगेशन ने कहा कि प्रभावित क्षेत्रों में आवासीय घरों, सरकारी भवनों, सड़कों, पुलों आदि को अत्यधिक नुकसान हुआ है। उन्होंने बताया कि लोनिवि में अब तक लगभग 15354.15 लाख, पेयजल में लगभग 2096.21 लाख, सिंचाई में लगभग 2248.54 लाख एवं ऊर्जा में लगभग 545.08 लाख का नुकसान हुआ है। उन्होंने बताया कि इस वर्ष मानसून सीजन में सभी विभागों के अन्तर्गत अब तक लगभग 22195.03 लाख (अनुमानित) नुकसान हुआ है। केन्द्रीय टीम के सदस्यों में थागलेमिलन निदेशक व्यय विभाग वित्त मंत्रालय, विपुल कुमार श्रीवास्तव निदेशक कृषि सहकारिता एवं कृषक कल्याण, सुधीर कुमार अधीक्षण अभियन्ता जल शक्ति मंत्रालय केन्द्रीय जल आयोग, वीरेन्द्र कुमार खेड़ा मुख्य अभियन्ता सड़क परिवहन व राजमार्ग मंत्रालय, चन्द्रशेखर निदेशक ग्रामीण विकास मंत्रालय, सुनील जैन निदेशक ऊर्जा मंत्रालय भारत सरकार उपस्थित थे।

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