चुनावी चंदे पर चुनाव आयोग की सिफारिश को लेकर खामोश नेता !
चुनाव आयोग के राजनीतिक पार्टियों को चंदे में सिर्फ 2000 रुपये तक हूी गुप्तदान किए जाने की सिफारिश पर अधिकतर राजनीतिक पार्टियां खामोश हैं. पार्टियां अभी इस पर कुछ भी टिप्पणी करने से कतरा रही हैं, उनका मानना है कि यह सरकार की जिम्मेदारी है कि तमाम पार्टियों को विश्वास में लेकर इस मुद्दे पर संसद में चर्चा कराये उसके बाद ही संविधान में संशोधन पर फैसला हो. कांग्रेस कोषाध्यक्ष मोतीलाल वोरा ने तो इसे सरकार का विशेषाधिकार बताया है. वोरा ने कहा कि इस पर कैसे अमल करना है यह सरकार ही तय करें लेकिन इस पूरी प्रक्रिया में सभी पार्टियों से विचार विमर्श कर संसद में बहस करना जरुरी है. वोरा ने माना कि कुछ राजनीतिक दल अपने चंदे के हिसाब में गड़बड़ी करते हैं. वोरा ने कहा कि कांग्रेस पार्टी हमेशा अपनी आमदनी और खर्च का ब्यौरा आयकर विभाग को देती है, वित्त मंत्री ने तो अब कहा है कि आयकर विभाग चाहे तो पूछताछ करलें लेकिन कांग्रेस तो इसके लिए पहले से ही तैयार है. वोरा ने कहा कि केंद्र की सरकारों ने हमेशा से ही आयोग की सिफारिशों को गंभीरता से लिया है जिसके बाद इसे संसद की पटल पर रखा जाता है. हालांकि अब तक बहुत कम अवसर ऐसे आये हैं जब चुनाव आयोग और फिर उस पर विधि आयोग की सिफारिशों पर संसद में गंभीरता से चर्चा होकर उन सिफारिशों को लागू करने के लिए कानूनी प्रावधानों में संशोधन किया गया हो. अधिकतर सिफारिशें तो रिपोर्टों की भारी भरकम फाइलों से भी बाहर नहीं आ पातीं है.वहीं जेडीयू के पवन वर्मा ने भी चुनाव आयोग की सिफारिशों का स्वागत किया है लेकिन इसके लिए सरकार को जरुरी कदम उठाने को कहा है.
साभार -संजय शर्मा