जिम्नास्ट दीपा के कोच बोले- सिस्टम का सामना भी करना पड़ा
अगरतला | भारतीय जिम्नास्ट दीपा करमाकर के कोच ने कहा उन्हें और दीपा को इस मुकाम तक पहुंचने के लिए कई साजिशों को असफल करते हुए आगे बढ़ना पड़ा भारत की पहली महिला जिम्नास्ट दीपा करमाकर रियो ओलंपिक में भले ही कोई पदक नहीं जीत , लेकिन इतिहास रचते हुए सबका दिल जीत लिया। दीपा आज जो भी हैं, वह इतना आसान नहीं था। उन्हें कई मुसीबतों से उबरने के बाद यह ऊंचाई हासिल हुई है। यहां तक कि उनके कोच बिश्वेश्वर नंदी को कई बार उनके लिए संघर्ष भी करना पड़ा। एक बार तो दीपा के कोच नंदी ने दीपा खिलाफ हो रही साजिशों के चलते उनका करियर बचाने के लिए त्रिपुरा सरकार से हस्तक्षेप की मांग भी किया था। जानकारी अनुसार कोच नंदी ने 9 फरवरी, 2012 को त्रिपुरा खेल परिषद के सचिव को एक पत्र लिखा था, जिसमें उन्होंने दीपा के करियर पर मंडरा रहे खतरे के बारे में विस्तार से जानकारी दी थी। दीपा के कोच ने इस पत्र में लिखा था कि भारतीय जिम्नास्टिक संघ के मुख्य कोच रहे गुरदयाल सिंह बावा से दीपा के करियर को खतरा है। पत्र में लिखा, ‘जब मैंने बांग्लादेश में हुए टूर्नामेंट में दीपा को दूसरे स्थान पर डालने को लेकर जानबूझकर हुए पक्षपात का मुद्दा उठाया, तो बावा ने मुझे डरा-धमकाकर अगरतला वापस आने के लिए कहा।’ नंदी ने बताया कि किस प्रकार ढाका में 28 से 30 दिसंबर, 2011 में हुई सुल्ताना कमाल चैंपियनशिप में दीपा को पहले स्थान से हटाकर दूसरे स्थान पर डाल दिया गया था। इसमें मीनाक्षी को पहला स्थान दिया गया था, क्योंकि बावा और अन्य महिला कोच उनके करीब थीं। नंदी द्वारा यह सब बताना यह दर्शाता है की देश में अन्य खेलो में भी अपने हक के लिए दीपा जैसी अनेक खिलाड़ियों को सिस्टम से लड़ना पड़ता होगा |