डॉक्टरों के लिए देश में काम करने का न्यूनतम समय तय होना चाहिए: संसदीय समिति
स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मामलों की स्थायी समिति ने कहा कि करदाताओं के पैसे से चलने वाले कॉलेजों में पढ़ाई करके बनने वाले डॉक्टरों की देश के प्रति भी कुछ जिम्मेदारी है। इसलिए कुछ समय तक देश में काम करके ही उन्हें विदेश जाने की अनुमति मिलनी चाहिए। समिति ने डेंटल कौंसिल ऑफ इंडिया, नर्सिग कौंसिल ऑफ इंडिया समेत चिकित्सा से जुड़ी संस्थाओं को पुनगर्ठित कर उन्हें प्रभावी बनाने की आवश्यकता जताई। इनका कार्य नेशनल मेडिकल कमीशन बिल, 2017 के प्रावधानों के अनुरूप होना चाहिए। संसदीय समिति ने सिफारिश की है कि डॉक्टरों के लिए देश में काम करने का न्यूनतम समय तय होना चाहिए। इसमें से कम से कम एक वर्ष ग्रामीण क्षेत्र के लिए होना चाहिए। इसके बाद ही डॉक्टरों को विदेश जाकर कार्य करने की अनुमति मिलनी चाहिए। संसदीय समिति ने यह सिफारिश पढ़ाई पूरी करके बड़ी संख्या में डॉक्टरों के विदेश जाने के चलन को ध्यान में रखकर की है। मेडिकल कौंसिल ऑफ इंडिया के विश्वसनीयता खोने से सतर्क समिति ने प्रस्तावित नेशनल मेडिकल कमीशन के सदस्यों के लिए व्यावसायिक और पेशेगत जिम्मेदारियों की घोषणा अनिवार्य किए जाने की सिफारिश की है। समिति ने सभी पैरामेडिकल और अन्य हेल्थकेयर व्यवसायों के लिए लाइसेंसिंग व्यवस्था लागू करने तथा उनके लिए मानदंड तय करने की भी सिफारिश की है। नेशनल मेडिकल कमीशन बिल 2017 संसद में पिछले हफ्ते ही रखा गया है। प्रोफेसर रामगोपाल यादव की अध्यक्षता वाली समिति ने इस बिल में शामिल करने के लिए ये सिफारिशें की हैं।