दिव्य ज्योति जागृति संस्थान का हर युवा साधक है डिग्रीधारी, अच्छा करियर छोड़ बने है सन्यासी
सिंहस्थ 2016 के महाकुंभ में हजारो कैम्पों में एक ऐसा भी कैम्प है जो सबसे अलग है। इस कैम्प की खासियत यहां का वैभव नहीं, साधक हैं। इस कैम्प से जुड़ा हर साधक कोई आम आदमी नहीं है, अच्छी-खासी डिग्री और करियर को छोड़ संन्यास की राह पर चलने वाले युवा है। कोई एमबीए, कोई डॉक्टर, कोई एम.टेक. तो कोई इंजीनियर। यहां आप जिससे मिलेंगे, उसके पास ऐसी ही कई भारी-भरकम डिग्री होगी। ये कैम्प है दिव्य ज्योति जागृति संस्थान का। समाधिस्थ आशुतोष महाराज द्वारा 1983 में स्थापित इस संस्थान से इस समय लाखों युवा जुड़े हैं जो अपना परिवार, करियर सब कुछ छोड़कर समाज सेवा में लगे हैं। दिव्य ज्योति जागृति संस्थान, कन्या भ्रूण हत्या, पशु संरक्षण विकलांग पुनर्वास, चिकित्सा, ध्यान, योग जैसे क्षेत्रों में काम कर रहा है। इस संस्थान की सबसे बड़ी खूबी यहां के साधक और साध्वियां हैं। ये सभी युवावस्था में ही परिवार और करियर को छोड़कर आशुतोष महाराज के मिशन से जुड़े और संन्यासी जीवन जीते हुए युवाओं को सनातन धर्म, समाज सेवा आदि से जोड़ रहे हैं।
इन्ही में कुछ साध्वी का परिचय आप के समक्ष प्रस्तुत है-
साध्वी ओमप्रभा भारती
कनाडा से आईँ साध्वी ओमप्रभा भारती 1995 से इस संस्थान से जुड़ी हैं और 2005 में उन्होंने संस्थान में पूर्णकालीन साध्वी बनीं। कनाडा में साइकोलॉजी में मास्टर डिग्री कर चुकी साध्वी कहना है की समाज को बेहतर बनाना ही हमाराउद्देश्य है ।
साध्वी रुचिका भारती
साध्वी रुचिका भारती एम.बी.ए. पासआउट दिल्ली की हैं। उनका कहा है की आशुतोष महाराज की आध्यात्म के प्रति उनकी दृष्टि ने उन्हें काफी प्रभावित किया। वे 1996 से संस्थान से जुड़ी हैं। उनका कहना है कि जो शांति और परमात्मा हम बाहर खोज रहे हैं वो हमारे भीतर ही है |
साध्वी मणिबाला भारती
दिल्ली की मणिबाला भारती एम.एससी (मैथेमेटिक्स) हैं। संस्थान से 2008 से जुड़ी हैं और तब से लगातार युवाओं में अध्यात्म का प्रचार कर रही हैं। उनका कहना है कि हमारी जितनी परंपराएं हैं उनको लेकर कई सवाल मन में थे, जब इस संस्थान से जुड़ी तो उन परंपराओं के पीछे के लॉजिक समझ में आए।
साध्वी दीपा भारती
2012 से इस जुड़ी मूलतः दिल्ली की रहने वाली साध्वी दीपा भारती बी.टेक. हैं, ह्यूमन राइट्स में डिप्लोमा और सोशल वर्क में भी पढ़ाई की है। उनका कहना है कि आशुतोष महाराज से मिलने के बाद उन्हें ये समझ में आया कि ईश्वर देखने का विषय है, अगर हम अपने भीतर ध्यान-योग के सहारे से ऐसी शक्ति जगाएं तो परमात्मा को अपने भीतर ही देख सकते हैं।
साध्वी आस्था भारती
संस्थान से 10 साल जुड़ी साध्वी आस्था भारती संस्थान की कथा व्यास हैं और श्रीमद्भागवत कथा करती हैं। अपनी कथाओं के जरिए वे नशा मुक्ति, देशभक्ति, समाज सेवा आदि पर युवाओं को संदेश दे रही हैं ।