धर्मांतरण नहीं देश को विकास और एकता चाहिए
अरुण कुमार यादव
धर्मांतरण शब्द वर्तमान समय में बहुत प्रचार प्रसार कमा रहा है . हाल ही में धर्मांतरण को लेकर आगरा में जो भी कुछ हुआ यह किसी से छुपा नहीं है . जहाँ आरएसएस इसे घर वापसी का का नाम दे रही है वही राजनीती दल राजनीती रोटिया सेकने में लगे हुए है .धर्म परिवर्तन पर राजनीती कितना सही और कितना गलत है ये सोचने की बात नहीं विचार तो इस पर होनी चाहिए आखिर ये घटना चक्र क्यों और किस उद्देश्य से उठ रहे है . भारत एक लोकतान्त्रिक देश है यहाँ पर हर धर्म और मजहब के लोग निवास करते है जो शांति प्रतिक के रूप में देखा जाता रहा है . क्या हमारे देश में मुद्दे भटक रहे है अगर हा तो इसका क्या कारण है . हमारे राजनेताओ ,सामाजिक संस्थानों , संगठनो , जनता को देश के विकास एवं देश की सामाजिक, क़ानूनी , गरीबी , एवं अन्य मुद्दो पर बहस और उसका निष्कर्ष निकालना चाहिए न की धर्म के नाम पर ऐसी घटिया स्तर के मुद्दो को समाज में जहर घोलने का काम . देश को विश्व पटल पर अपनी छाप छोड़ने के लिए विकास और शांति की राह अपनानी चाहिए . देश की जनता को एकता के सूत्र में बधे रहना चाहिए और इन धर्म के ठेकेदारो एवं राजनीती दलों को एकता के द्वारा मुँहतोड़ जवाब देना चाहिए