नशे पर अंकुश लगाने के लिए पंजाब में 28 नशा-मुक्ति केंद्र
सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्रालय ने मादक पदार्थों के सेवन की समस्या पर अंकुश लगाने के लिए पंजाब में 28 नये नशा मुक्ति केंद्रों को मंजूरी दे दी है। राज्य में इस समस्या की गंभीरता को देखते हुए मंत्रालय ने नशीली दवाओं के दुरुपयोग की सीमा, स्वरूप और प्रवृत्ति पर एक सर्वेक्षण भी करवाया है, जिसकी रिपोर्ट जल्द ही आने की उम्मीद है। नशीली दवाओं के दुरुपयोग और अवैध व्यापार के खिलाफ अंतर्राष्ट्रीय दिवस के समारोह को संबोधित करते हुए आज सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्री श्री थावर चंद गहलोत ने यह जानकारी दी। गहलोत ने कहा कि पंजाब नशे की समस्या से प्रभावित राज्यों में से एक है और यहां विशेष ध्यान देने की जरूरत है।गहलोत ने निवारक शिक्षा की आवश्यकता पर बल दिया। उन्होंने कहा कि शुरूआत में ही इस पर रोक लगाने से नशे की लत को रोका जा सकता है और देश भर में मजबूत समुदाय की रचना की जा सकती है। मंत्रालय ने शुरूआती स्तर पर इसकी रोकथाम पर ध्यान केंद्रित करना शुरू कर दिया गया है और एक संतुलित दृष्टिकोण बढ़ावा दे रहे हैं जो तथ्य आधरित हस्तक्षेप को बढाता है। निवारक शिक्षा और जागरूकता कार्यक्रमों के लिए मंत्रालय ने नेहरू युवा केन्द्र संगठन और राष्ट्रीय सेवा योजना (एनएसएस) के साथ सहयोग किया है। उन्होने बताया कि नशीली दवाओं के दुरुपयोग की रोकथाम के बारे में जागरूकता फैलाने के लिए एक क्षेत्रीय कार्यशाला 15 से 17 जून तक एनएसएस के सहयोग से मंत्रालय द्वारा शिलांग में आयोजित की गयी। युवाओं के बीच जागरूकता पैदा करने के लिए मंत्रालय देश के अन्य भागों में भी इस तरह की क्षेत्रीय कार्यशालाएं आयोजित करने की योजना बना रहा है। उन्होंने यह भी बताया कि मंत्रालय मादक पदार्थों मांग में कमी के लिए एक राष्ट्रीय नीति को अंतिम रूप देने की जा रहा है। यह सरकार को बच्चों / किशोरों, महिलाओं और युवा लड़कियां जिन पर विशेष ध्यान देने की आवश्यकता होती है, एक सुसंगत तरीके से विशेष ध्यान देने की जरूरत से संबंधित उपायों के साथ-साथ नशे से होने वाले नुकसान और इसके निवारक उपायों की आवश्यकता के लिए जागरूकता फैलाने में सक्षम बनाएगी।शराब और मादक पदार्थों के सेवन पर रोकथाम के लिए 1985-86 के बाद से मंत्रालय द्वारा एक केन्द्रीय योजना लागू की गई है। नशा पीड़ितों के लिए एकीकृत पुनर्वास केन्द्रोंआईआरसीए को चलाने के लिए इस योजना के तहत वित्तीय सहायता प्रदान की जाती है जो मूल रूप से राज्य सरकारों और गैर सरकारी संगठनों के साथ साझेदारी के माध्यम से पहचान, परामर्श, उपचार और शराब और नशीली पदार्थों के पीड़ितों के पुनर्वास के लिए काम करने वाले नशा मुक्ति और उपचार केंद्र हैं । इस योजना के तहत हर साल देश में लगभग 300 नशा मुक्ति केन्द्रों के लिए वित्तीय सहायता प्रदान की जाती है।