नाबार्ड ने मनाया अपना 39 वां स्थापना दिवस , जानिए खबर
देहरादून | संसद के अधिनियम द्वारा 12 जुलाई 1982 को नाबार्ड की स्थापना की गई। अपने 38 वर्षों के कार्यकाल में नाबार्ड देश के हर गाँव व किसानों के बीच अपनी विशेष पहचान बनाने में सफल रहा है। इस अवसर पर देहरादून में आयोजित कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए मुख्य महाप्रबंधक सुनील चावला ने स्थापना दिवस की बधाई देते हुए कहा कि राज्य के गठन के बाद से ही नाबार्ड उत्तराखण्ड ग्रामीण क्षेत्र में आधारभूत सुविधाओं के निर्माण हेतु अपने आरआईडीएफ फंड के तहत सहयोग दे रहा है। स्वयं सहायता समूह, जेएलजी व कृषक उत्पादक संगठन का गठन कर सतत आजीविका का मार्ग प्रशस्त किया। महिलाओं को आर्थिक रूप से स्वावलंबी बनाने हेतु अनेक प्रकार के प्रशिक्षण प्रदान किए। इस प्रकार नाबार्ड राज्य के किसानों, ग्रामीणों तथा महिलाओं को विकास की मुख्य धारा के साथ जोड़कर उन्हें आगे बढ़ने में मदद कर रहा है। बैंकों, विशेषकर ग्रामीण व सहकारी बैंकों को सस्ता पुनर्वित देकर किसानों को कृषि एंव कृषित्तर कार्यों के लिए आसान शर्तों पर ऋण मिलने की दिशा में योदगान दिया है। इस अवसर पर विभिन्न परियोजनाओं को मंजूरी दी गई जिसमें कृषि क्षेत्र के तहत एक रूरल मार्ट तथा मधु मक्खी पालन हेतु चमोली, रूद्रप्रयाग व पौड़ी गढ़वाल जिलों हेतु परियोजना, वित्तीय समावेशन एवं बैंकिग तकनीकी के तहत 366 वित्तीय साक्षरता एवं जागरूता कार्यक्रमों, 10 मोबाइल वैन, 315 पॉस मशीन तथा 10 माइक्रो एटीएम शामिल हैं. साथ ही 9 प्राथमिक कृषि ऋण समिति (पैक्स) के लिए आधारभूत सुविधाओं के सृजन हेतु ₹ 15 लाख की मंजूरी भी दी। सूक्ष्म ऋण नवोन्मेष विभाग के तहत एक एमईडीपी कार्यक्रम तथा 50 जेएलजी हेतु एक परियोजना को मंजूरी प्रदान की। इन परियोजनाओं से राज्य में वित्तीय साक्षरता, किसानों को अपने उत्पाद बेचने हेतु मंच, महिलाओं के लिए रोजगार परक प्रशिक्षण दिलाने में मदद मिलेगी। इस अवसर पर स्वयं सहायता समूह व कृषक उत्पादक संगठनों के उत्पाद को प्रदर्शित करने हेतु कार्यालय परिसर में स्थायी प्रदर्शनी का भी उद्धाटन किया तथा महिला स्वयं सहायता समूह पर बनी लघु फिल्म का विमोचन किया। इस अवसर पर उत्तराखण्ड क्षेत्रीय कार्यालय के सभी कर्मचारी व वरिष्ठ अधिकारीगण मौजूद रहे।