पत्रकार की हत्या को चार दिन बाद भी मंत्रीजी की गिरफ्तारी नहीं
शाहजहाँपुर, उत्तरप्रदेश में, फ्रीलान्स पत्रकार जोगेन्द्र सिंह को 1 जून, 2015 को ज़िंदा जला दिया गया। 60% जले पत्रकार ने मरने से पहले मजिस्ट्रेट को ब्यान में उत्तर प्रदेश के डेरी मिनिस्टर राम मूर्ति सिंह को दोषी बताया। 9 जून को एफआईआर हुई, तब से मंत्रीजी नहीं दिखे और ना ही कोई गिरफ्तारी हुई है।पत्रकार के पुत्र, राघवेन्द्र सिंह, ने कहा, “ये पहली बार नहीं था कि मेरे पिता पर एक स्थानीय हिंदी समाचारपत्र में मंत्रीजी के अवैध खनन और ज़मीन कब्जाने पर लेख लिखने पर हमला हुआ है। मेरे पिता ने खोजी कहानी का पूरा विवरण फेसबुक पर डाला और अपनी जान पर खतरे का भी लिखा। इसके बाद, एक छे लोगों का दल जिसमें दो पुलिस अधिकारी सादे वेश में थे, हमारे घर में घुस आये और मेरे पिता को धमकाने लगे, पीटने लगे और फिर उन पर पेट्रोल डाल कर आग लगा दी”।पत्रकार जोगेन्द्र सिंह मर्डर केस में मंत्री राममूर्ति सिंह कथित रूप से फंसे है। कायदे से मुख्यमंत्री अखिलेश यादव को पत्रकार हत्याकांड की हत्या के मामले में मंत्री राममूर्ति सिंह से इस्तीफा ले लेना चाहिए था। उन पर तमाम आरोप लगते रहे हैं। उनकी गुडंई से सब वाकिफ हैं। इसके बावजूद उन्हें अखिलेश यादव ने अभी तक उन्हें उनके पद से हटाया नहीं है। और इस मामले को सीबीआई को सौंप देना चाहिए था। इस देश में बहुत से पत्रकार और लोकतंत्र के सिपाही अभिव्यक्ति की आजादी को कायम करने को लेकर शहीद हुए है। जोगेंद्र सिंह उनमे से एक है। लेकिन अजीब बात है कि इस पर न हमारे प्रधानमंत्री कुछ बोल रहे हैं न मुख्यमंत्री। न ही वे अदालतें जो गंदे नालों के प्रवाह को रोकने का मसला स्वतः संज्ञान में लेते हुए नोटिस जारी कर देती है। अपने टाइमलाइन पर जोगेंद्र ने जो लिखा है वही काफी है। दिल्ली प्रेस क्लब के सदस्य दिनेश तिवारी ने कहा कि अखिलेश यादव को पत्रकार की हत्या के मामले में मंत्री के खिलाफ कड़ी कार्रवाई करनी चाहिए। उन्होंने कहा कि जोगेन्द्र सिंह बेहद ईमानदार पत्रकार थे। इसलिए ही उन्हें अपनी जान से हाथ धोना पड़ा। इससे पहले भी राममूर्ति सिंह वर्मा पर तमाम आरोप लगते रहे हैं। उन पर वक्फ की जमीन कब्जा करने का आरोप लगा है। वक्फ बोर्ड उन पर सत्ता का दुरुपयोग कर जमीन पर कब्जा कराने का आरोप लगाता रहा है। वक्फ का आरोप रहा है कि अपनी पार्टी के कार्यकर्ता गुफरान और सलीम अख्तर के माध्यम से मंत्री जी ने वक्फ की संपत्ति को शाहजहांपुर में कब्जाने की कोशिश की।