पीके प्रोडक्शन के बैनर तले प्रशांत किशोर का यूपी में दांव
वाराणसी। बनारस की सड़कों पर सूरज चरम पर था और गर्मी बढ़ रही थी, ऐसे में राजनीति के सबसे चर्चित चेहरे की बात करना पता नहीं कितना मुनासिब है. लेकिन लकड़ी के पैनलों से घिरे एक कमरे में खिड़की से आती रोशनी के बीच प्रशांत किशोर जिस तरह बैठे हैं लगता नहीं, यह गर्मी उनका कुछ बिगाड़ सकती है. एक दूसरे पर कीचड़ उछालने के लिए बदनाम इस शहर में प्रशांत का कुर्ता-पायजामा देखकर लगता नहीं कि उन्हें इन सबसे कोई फर्क पड़ता है. कमरे के गहरे रंग के बीच प्रशांत के लिबास की सफेदी आंखों को जो अजीब-सा सुकून दे रही है, यह शांति उससे काफी अलग है, जिसकी योजना प्रशांत बाहर के लिए बना रहे हैं। जैसा कि किशोर के साथ होता आया है, वह जो भी काम करते हैं भले ही वह कितना भी एकांत में क्यों न हो रहा हो – उसका नतीजा जल्द ही बदलाव के रूप में जनता के सामने आता है. उनका भी यही मानना है कि सार्वजनिक मंच पर बहुत ज्यादा सामने न आना ही उन्हें बनाए रखता है. वह इंटरव्यू देने से खुद को दूर रखते हैं. अनौपचारिक बातचीत में उनका तरीका सवाल पर सवाल करना है. अगर आप उनसे पूछेंगे कि क्या सोनिया गांधी जैसी शख्सियत के लिए इतनी भीड़ काफी है तो उनका जवाब होगा श्क्या यह काफी नहीं थी अगर आप उनसे पूछ बैठेंगे कि उन्हें क्यों लगता है कि उत्तर प्रदेश में उनका कोई चांस बनता है तो सवाल मिलेगा श्आपको क्यों लगता है कि मेरा चांस नहीं होगा। जैसे ही मीडिया की भीड़ लगती है, बादल आकाश में फैल जाते हैं और खिड़की के बाहर अन्धेरा छा जाता है. किशोर बाहर झांकते हुए कहते हैं इसे कहते हैं किस्मत, यह मेरे प्लान में नहीं था। यहीं से थोड़ी ही दूरी पर कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी को रोड शो शुरू हो चुका है. पहले कुछ मिनटों के अपडेट रैली में मौजूद किशोर के कुछ साथियों द्वारा व्हॉट्सऐप किए जाते हैं, जो कांग्रेस अध्यक्ष के साथ आठ किलोमीटर का रूट तय करने वाले हैं. वीडियो में एक और नई बात सामने आती है लेकिन इसकी किसी ने अपेक्षा नहीं की थी सफेद रंग की पर से खुली मर्सिडीज़ एसयूवी के बजाय सोनिया गाँधी एक सामान्य एसयूवी में जा रही हैं. यानि जनता का ठीक से आह्वान करने के लिए उन्हें आधा दरवाज़ा खोलकर बाहर की तरफ झुकना पड़ेगा. यह भी प्लान में बिल्कुल नहीं था।