पीर पैगम्बरों की शिक्षाएं हमें मार्गदर्शन देती है : गुरप्रीत सिंह गुुग्गी
सिख फेडरेशन एवं डब्ल्यूआईसी की ओर से मनाया गया श्री गुरूनानक देव जी का 550वां प्रकाश पर्व
देहरादून। यूनाइटेड सिख फेडरेशन एवं डब्ल्यू आई सी की ओेर से श्री गुरूनानक देेव जी का 550 वा प्रकाश उत्सव मनाया गया। इस अवसर पर गुरूनानक देवा जी की शिक्षाओं पर एक चर्चा का आयोजन किया गया। चर्चा में पंजाबी फिल्म इंडस्ट्री के मशहूर काॅमेेडियन एवं एक्टर गुरप्रीत सिंह गुग्गी, पंजीबी यूनिवर्सिटी के वाइसचांसलर डा. जसपाल सिंह, डब्ल्यू आईसी की प्रेजिडेंट नाजिया इजुद्दीन सिद्दिकी एवं रिटायर्ड प्रो.डा. एस आर वर्मा ने प्रतिभाग किया। इस अवसर पर गुरप्रीत सिंह गुग्गी ने कहा कि हमारे पीर पैगम्बरों की शिक्षाएं हमें मार्गदर्शन देती है कि किस तरह से हमें अपना जीवन जीना है और उनकी शिक्षाओं को फाॅलो करते हुए उन्हें आगे बढ़ाना है। उन्होंने कहा कि उत्तराखण्ड को पहले ही देवभूमि कहा जाता है यहां पर आ कर आज गुरूनानक देव जी की शिक्षाओं पर विचार रखना अपने आप में ही बहुत अनोखा अनुभव है। इस अवसर पर डब्ल्यू आईसी की प्रेजिडेंट नाजिय इजुद्दीन ने कहा कि आज हम पूरे विश्व में सिख समाज में जो भाईचारा और एकता की भावना देखते है यह गुरूनानक देव जी की ही शिक्षा है। आज विश्व में कहीं पर कोई आपदा आए कुछ भी हो सिख समाज सबसे पहले वहां पर पहुंचता है यह सब गुरूनानक देव जी की शिक्षा है। उनकी शिक्षा का ही नतीजा है आज सिख समाज ने पूरे विश्व में अपनी एक पहचान बनाई है।
भाईचारा और एकता बनी हुई है ……
इस अवसर पर पंजाबी यूनिवर्सिटी के वाइस चांसलर डा. जसपाल सिंह ने कहा कि आज के कई सौ साल पहले गुरूनानक देव जी ने जो संदेश दिया और फिर उसको गुरू गंथ साहिब जी के माध्यम से लोगों तक पहुंचाया जा रहा है। उनकी शिक्षाएं न सिर्फ समाज निर्माण में मददगार साबित हो रही है बल्कि आज समाज में जो भाईचारा और एकता बनी हुई है कहना गलत नहीं होगा कि वह सिख समाज का उसमें बड़ा योगदान है। इस अवसर पर डा. एस आर वर्मा ने भी अपने विचार व्यक्त किए। इस मौके पर सिख फेडरेशन के प्रेजिडेंट स. अमरजीत सिंह नाॅटी ने सभी का उपस्थित गणमान्यों का स्वागत किया। कार्यक्रम में इससे पूर्व शब्द गायन भी रंजोतसिंह एवं लवजोत सिंह द्वारा किया गया। कार्यक्रम में डब्ल्यूआईसी की प्रोग्राम हेड मनीषा डोगरा सिख फेडरेशन से स. गुुरिंदर जीत सिंह, समाजसेवी स. डीएस मान, डा. एस फारूख, हरपाल सिंह सेठी, गुलजार सिंह, सेवा सिंह मठारू आदि मौजूद थे।