बैंकों में होने वाले फ्रॉड रोकने में आधार कारगर उपाय नहीं : सुप्रीम कोर्ट
आधार कार्ड की संवैधानिक वैधता को लेकर सुप्रीम कोर्ट की संवैधानिक पीठ ने केंद्र सरकार से पूछा कि आपने यूआईडीएआई को बॉयोमेट्रिक लेने का अधिकार दे दिया. आगे चलकर आप डीएनए सैंपल और ब्लड सैंपल मांगने का अधिकार भी इस संस्था को दे सकते हैं. क्या ये निजता के अधिकार का हनन नहीं है? जज के सवालों पर अटॉर्नी जनरल ने बताया, “भविष्य में क्या-क्या मांगा जा सकता है इसको लेकर कुछ नहीं कह सकते. हां, ब्लड, यूरिन और डीएनए जोड़े जा सकते हैं. मामले में चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया दीपक मिश्रा की अगुवाई वाली संवैधानिक बेंच के मेंबर जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ ने अटॉर्नी जनरल केके वेणुगोपाल से कई सवाल पूछे हैं. जस्टिस चंद्रचूड़ ने पूछा- “क्या संसद ने यूनिक आडेंटिफिकेश अथॉरिटी ऑफ इंडिया को कुछ ज्यादा ही अधिकार दे दिए हैं? कोर्ट ने सरकार के उस दावे पर भी असंतुष्टि जाहिर की, जिसमें सरकार ने कहा था कि आधार से बैंक फ्रॉड पर रोक लगाई जा सकती है. हाल में पंजाब नेशनल बैंक में हुए बैंक फ्रॉड को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि बैंकों में धोखाधड़ी पर आधार के जरिए लगाम नहीं लगाई जा सकती है. कोर्ट ने कहा कि बैंक जानता है कि वो किसे कर्ज दे रहा है और बैंक अधिकारी जानते हैं कि वो किसका लोन पास कर रहे हैं. बता दें कि सरकार की ओर से आधार को लेकर दलील दी गई थी कि आधार की अनिवार्यता भ्रष्टाचार को खत्म करने के लिए जरूरी है. सरकार ने कहा था कि आधार को इसलिए अनिवार्य बनाया जा रहा है, ताकि बैंक फ्रॉड रोके जा सकें. हालांकि, सुप्रीम कोर्ट ने सरकार के दावों पर असंतुष्टि जाहिर करते हुए कहा कि सिर्फ आधार से बैंकों में होने वाले फ्रॉड रोके नहीं जा सकते हैं. क्योंकि, आधार घोटाला रोकने का कारगर उपाय नहीं है.