भारतीय वन्य जीव संस्थान का दल पहुंचा परमार्थ निकेतन
ऋषिकेश । परमार्थ निकेतन में भारतीय वन्य जीव संस्थान के 30 से अधिक सदस्यों के दल ने सहभाग किया। वन्य जीव संस्थान के वैज्ञानिकों ने परमार्थ निकेतन के परमाध्यक्ष स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी महाराज से भेंट कर पर्यावरण, जल एंव वन्य जीव संरक्षण पर विस्तृत चर्चा की। विश्व स्तर पर शुद्ध जल की आपूर्ति हेतु विश्व ग्लोब का जलाभिषेक किया तथा सभी सदस्यों ने परमार्थ निकेतन की विश्व विख्यात गंगा आरती में सहभाग किया। स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी महाराज ने बाल दिवस पर देश के नौनिहालों को शुभकामनायें देते हुये कहा कि बच्चों को कंपिटीशन नहीं कम्पेशन सिखायें। बच्चे केवल किसी एक परिवार का प्रतिनिधित्व नहीं करते बल्कि राष्ट्र का प्रतिनिधित्व भी करते है वे राष्ट्र का गौरव है। बच्चे संस्कारशील और मजबूत होंगे तो राष्ट्रीय इमारत को मजबूत बनायेंगे। भारतीय वन्य जीव संस्थान से आये वैज्ञानिकों को सम्बोधित करते हुये स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी महाराज ने कहा कि जंगली जीवन का धरा के ईको सिस्टम को बनायें रखने में महत्वपूर्ण योगदान है। उन्होने कहा कि हिमालय ने वर्षों से भारत की संस्कृति और सभ्यताओं को सहेज कर रखा है अब समय आ गया है कि हम हिमालय को और उसकी संस्कृति को संरक्षित करने में अपना योगदान प्रदान करें। स्वामी जी ने कहा कि हिमालय, हमारे पहाड़ और नदियां ने हमें केवल जीवन ही नहीं दिया बल्कि हिमालय जैसा जीवन जीने का हौसला और गंगा जैसी पवित्रता हमें प्रदान की है। इसने साहित्यकारों को सृजन, संगीतकारों को सरगम और संतों को शिवत्व प्रदान किया है। हिमालय पर्वत के रूप में शोभायमान ही नहीं रहा और न ही भारत माता का मुकूट बना बैठा रहा बल्कि यह भारत की ढ़ाल बनकर सदियों से हमारी रक्षा के लिये तैनात है और गंगा ने प्रत्येक भारतीय के हृदय में आध्यात्मिक आस्था का संचार किया है। अब समय आ गया है कि भारत की तकनीक का उपयोग विकास के साथ प्राकृतिक संसाधनों की रक्षा के लिये लगाया जाये तभी हम सुरक्षित और सतत विकास की दिशा में बढ़ सकते है। स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी, जीवा की अन्तर्राष्ट्रीय महासचिव साध्वी भगवती सरस्वती जी, स्वामिनी आदित्यनन्दा जी और नन्दिनी त्रिपाठी जी के साथ भारतीय वन्य जीव संस्थान के 30 से अधिक वैज्ञानिकों ने विश्व स्तर पर स्वच्छ जल की आपूर्ति हेतु विश्व ग्लोब का जलाभिषेक किया और वन्य जीवों को संरक्षण प्रदान करने तथा एकल उपयोग प्लास्टिक का उपयोग न करने का संकल्प लिया।