मिज़ोरम के युवा देश के अन्य युवाओ के साथ मिलकर देश का भविष्य बनाये – राष्ट्रपति
राष्ट्रपति श्री प्रणब मुखर्जी आज आइज़ॉल में मिज़ोरम विश्वविद्यालय के 10वें वार्षिक दीक्षांत समारोह में शामिल हुए।
इस अवसर पर राष्ट्रपति ने कहा कि आज भारत निरंतर विकास के रास्ते पर है। प्रत्येक क्षेत्र में चाहे व्यवसाय, उद्योग, व्यापार, शिक्षा अथवा संस्कृति हो – हम अपनी युवा आबादी की अद्भुत कल्पनाओं, उद्यम और ऊर्जा की मदद से लगातार आगे बढते हैं। एक उभरते हुए भारत में मिज़ोरम सहित देश के सभी युवाओं के लिए अपार अवसर हैं। मिज़ोरम के युवकों को देश का भविष्य बनाने के लिए देश के अन्य भागों के युवकों के साथ हाथ मिलाना चाहिए।
राष्ट्रपति ने कहा कि उच्च शिक्षा के संस्थान समाज के लिए अनुकरणीय उदाहरण है। इन संस्थानों को क्षेत्र के सामाजिक-आर्थिक योगदान देने के लिए इन्हें प्रत्येक क्षेत्र के विशेषज्ञों का लाभ उठाना चाहिए। केन्द्र सरकार ने स्वच्छ भारत मिशन, डिजिटल इंडिया और सांसद आदर्श ग्राम योजना जैसे विभिन्न कार्यक्रम शुरू किए हैं। कुलाधिपतियों के सम्मेलन में यह फैसला किया गया कि प्रत्येक केन्द्रीय विश्वविद्यालय कम से कम पाँच गांवों को अपनाकर उन्हें विकसित करेगा और उन्हें विश्वास है कि मिज़ोरम विश्वविद्यालय सभी की उम्मीदों पर खरा उतरेगा।
राष्ट्रपति ने महान दार्शनिक कन्फ्यूशियस को उद्धृत करते हुए कहा कि ”शिक्षा विश्वास पैदा करती है। विश्वास उम्मीद पैदा करता है और उम्मीद शांति पैदा करती है।” शिक्षा मानव अस्तित्व के दो मूल उद्देश्यों की रक्षा करती हैं : ज्ञान का प्रसार और चरित्र निर्माण। उन्होंने कहा कि औषधीय चिकित्सा से लेकर इंजीनियरिंग, अध्यापन, प्रशासन, व्यवसाय, राजनीति और सामाजिक सेवा जैसे विभिन्न क्षेत्रों के पथ प्रदर्शन में उच्च शिक्षा की महत्वपूर्ण भूमिका है। केन्द्रीय विश्वविद्यालयों को भारत की उच्च शिक्षा में बदलाव की अगुवाई करनी चाहिए।