मुझे बदनाम करने की साजिश : फुटबॉल कोच विरेन्द्र सिंह रावत
देहरादून | उत्तराखंड के प्रसिद्ध राष्ट्रीय कोच और क्लास वन रेफरी विरेन्द्र सिंह रावत अनगिनत अंतराष्ट्रीय, राष्ट्रीय और स्टेट अवार्ड से सम्मानित पूरे भारत और विश्व मे जिनका नाम विख्यात है कोरोना वायरस के दौर मे 78 दिन 15 मार्च से आज तक समस्त खेल प्रेमियों, समाज को, खिलाड़ी, कोच और रेफरी आदि को अपने अनुभव से फ्री जागरूक कर रहे है फेसबुक, वटसअप, ट्वीटर, इंसटाग्राम, अखबार आदि के द्वारा मदद किया जा रहा है | मेरा फिटनेस को लेकर यूट्यूब मे सही और सत्य वीडियो है जिसमें केवल रावत की पैर के दोड़ने की अवाज ने ना कि कोई अन्य अवाज, फर्जी वीडियो को भेज नहीं सकता जिसमें अपशब्द कहे गए है | रावत ने जानकारी दी कि
फ़र्जी वीडियो मे तेज आवाज के साथ साथ अपशब्द ( गाली गलोंच) का प्रयोग किया है मेरे छवि को बदनाम करने की कोशिश की गई है | जानकारी हो कि ये वीडियो 2 जून को वायरल की गई जिस दिन रावत अपने माताजी पिताजी के प्रथम वार्षिक बरसी ( श्राद्ध) के पूजा पाठ मे व्यस्त थे 2019 मे रावत के माताजी पिताजी का देहांत हो गया था, घर के 10 लोगों की उपस्थिति मे सोशल डिस्टेंस और सरकार के नियम के अनुरूप पूजा की गई | वीरेंद्र रावत ने कहा कि जिसने भी इस वीडियो को फ़र्जी एडिट किया है वो एक सप्ताह के अंदर लिखित माफी मांग ले अगर उसने माफ़ीनामा और अपनी गलती स्वीकार नहीं की तो उसके खिलाफ एफ आई आर साइबर क्राइम को कि जाएगी जिसके कारण उसको सलाखों के पीछे जाने से कोई रोक नहीं पाएगा उन्होंने कहा मैं आज तक किसी का बुरा नहीं किया है सभी को सच्चाई और खेल के उचित विकास से अवगत कराया है 20 सालो से खेल का उचित विकास कर रहे है इससे पूर्व भी 2015 जून 20 को रावत को फर्जी तरीके रावत जो देहरादून फुटबाल एकेडमी के संस्थापक अध्यक्ष और हेड कोच है उनकी एकेडमी को फ़र्जी तरीके से कब्जाने की कोशिश की गई थी और उनको फ़साने की कोशिस की गई थी जिसके कारण उन्होंने लंबी लड़ाई ढाई साल बाद हाई कोर्ट से क्लीन चिट मिली थी जो उनकी ईमानदारी का फल मिला रावत 50 साल की उम्र मे 8 बार बड़े से बड़ी दुर्घटना से लड़ कर ये मुकाम पाया है किसी का बुरा नहीं किया है जब तक जीवन है अंतिम साँस तक उत्तराखंड और भारत के विकास के लिए जीवन समर्पित करता रहूँगा |