समान नागरिक संहिता हरिगज मंजूर नहींः मुस्लिम लाॅ बोर्ड
नई दिल्ली। आॅल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लाॅ बोर्ड ने समान नागरिक संहिता का विरोध् करते हुए कहा है कि भारत जैसे विविधता में एकता वाले देश में यह कतई मुनासिब नहीं है। हम किसी भी कीमत पर इसे स्वीकार नहीं करेंगे। सुप्रीम कोर्ट में भी इसका डटकर विरोध् किया जाएगा। बोर्ड ने कहा कि तीन बार तलाक कहने पर पति-पत्नी के संबंध् टूट जाने के बारे में गलतपफहमियां पफैलाई जा रही हैं। बोर्ड का कहना है कि भारत में अलग-अलग धर्म के लोग एकसाथ मिल-जुलकर रहते हैं और संविधन का पालन करते हैं। लेकिन सरकार इस भाईचारे को तोड़ने की कोशिश कर रही है। बोर्ड के महासचिव मौलाना मोहम्मद वली रहमानी ने गुरुवार को यहां मुस्लिम संगठनों की एक संयुत्तफ पत्राकार वार्ता में कहा कि समान नागरिक संहिता के संबंध् में विधि आयोग ने जो प्रश्नावली तैयार कर जनता की राय मांगी है, उसका तमाम मुस्लिम संगठन विरोध् करते हैं। उन्होंने मुसलमानों से अपील की कि वह इसका बहिष्कार करें और प्रश्नावली का जवाब नहीं दें। मोदी सरकार पर हमला बोलते हुए रहमानी ने कहा, फ्मोदी जी से सरहद तो संभल नहीं रही और वह समान नागरिक संहिता लाकर देश में अंदरूनी लडाई का वातावरण तैयार कर रहे हैं। वली रहमानी ने भारत और अमेरिका के संबंधें पर चुटकी लेते हुए कहा कि जिस अमेरिका की यहां जय की जाती है, वहां भी अलग-अलग स्टेट का अपना पर्सनल लाॅ है। अलग-अलग पहचान है। उन्होंने कहा कि हमारी सरकार वैसे तो अमेरिका की पिछलग्गू है लेकिन इस मुद्दे पर उसका अनुसरण नहीं करना चाहती। उन्होंने देश के प्रथम प्रधनमंत्राी की प्रशंसा करते हुए कहा कि पंडित जवाहर लाल नेहरू बड़े दिल के आदमी थे। इसलिए उन्होंने अलग-अलग ट्राइब्स के लिए संविधन में अलग-अलग प्रावधन रखवाया |