सरकार दखल न दे, डेढ़ साल में तीन तलाक होगा खत्मः डॉ सादिक
नई दिल्ली/बिजनौर। अलिं इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड के वाइस प्रेसिडेंट डॉ सईद सादिक ने कहा है कि बोर्ड अगले डेढ़ साल में तीन तलाक रूपी कानून को खुद ही खत्म कर देगा। सरकार को इस मामले में दखल देने की जरूरत नहीं है। यूपी के बिजनौर में हुए एक प्रोग्राम में डॉ सादिक ने कहा कि तीन तलाक महिलाओं के साथ नाइंसाफी है। लेकिन यह मसला मुस्लिम कम्युनिटी का है। साथ ही साथ मुस्लिामों को बीफ न खाने की सलाह भी दी सादिक ने मुस्लिमों को बीफ न खाने की भी सलाह दी। उन्होंने कहा कि अगर सरकार देशभर में गोहत्या पर रोक लगाने का कानून लाती है तो मुस्लिम उसका स्वागत करेंगे। – इस बयान से दो दिन पहले ही बोर्ड ने दावा किया था कि साढ़े तीन करोड़ मुस्लिम महिलाएं शरीयत और तीन तलाक के सपोर्ट में हैं। इसी बीच, तीन तलाक और अयोध्या जैसे मुद्दों पर चर्चा के लिए बोर्ड ने 15-16 अप्रैल को बैठक बुलाई है। सुप्रीम कोर्ट में दी गई लिखित दलील में केंद्र सरकार ने कहा कि तीन तलाक मुस्लिम महिलाओं की डिग्निटी ह्गरिमाΩ और सोशल स्टेटस समाजिक स्तर पर असर डालता है। केंद्र ने यह भी कहा कि तीन तलाक से मुस्लिम महिलाओं के फंडामेंटल राइट्स की अनदेखी होती है। ये रस्में मुस्लिम महिलाओं को उनकी कम्युनिटी के पुरुषों और दूसरी कम्युनिटी की महिलाओं के मुकाबले कमजोर बना देती हैं। सरकार ने कोर्ट में कहा कि भारत की आबादी में मुस्लिम महिलाओं की हिस्सेदारी है। देश की ये आबादी सोशली और अर्थशात्रिक बेहद अनसेफ है। सरकार ने साफ किया कि महिलाओं की डिग्निटी से कोई कम्प्रोमाइज नहीं हो सकती। केंद्र ने अपनी दलीलों में आगे कहा, ष्लैंगिक असमानता का बाकी समुदाय पर दूरगामी असर होता है। यह बराबर की साझेदारी को रोकती है और आधुनिक संविधान में दिए गए हक से भी रोकती है।ष् सरकार ने कहा कि मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड में 60 साल से ज्यादा वहा से सुधार नहीं हुए हैं और मुस्लिम महिलाएं फौरन तलाक के डर से बेहद कमजोर बनी रहीं। केंद्र ने कहा, यह कहना सच हो सकता है कि तीन तलाक और एक से ज्यादा शादियों का असर कुछ ही महिलाओं पर होता है, लेकिन एक हकीकत यह भी है कि इसके दायरे में आने वाली हर महिला उसके खिलाफ इसके इस्तेमाल के डर और खतरे में जीती है। इसका असर उनके हालात, उसकी पसंद, उनके आचरण और उनके सम्मान के साथ जीने के उनके हकों पर पड़ता है।