निगम कर्मी को 500 रुपये नही दिए तो गरीब की रोजी रोटी पर चलाया बुलडोजर
टूटी दुकान, बिखरे बर्तन, और आँखों से गिरते आंसू ये किसी फिल्म का दृश्य नही है, ये सच है एक गरीब की जिंदगी का, जो अपनी आँखों के सामने अपने सपनों टूटता देख फूट-फूट कर रो रहा है। वो सपना जिसे देखने में शायद उसने अपनी ज़िन्दगी भर की पाई-पाई लगा दी, लेकिन उस सपने को नगर निगम के एक कर्मचारी ने तोड़ कर सड़क पर बिखेर दिया, और पता है उसने इस गरीब के सपने की कीमत क्या लगायी, महज 500 रूपए। जी हाँ सिर्फ 500 रूपए के लिए उसने उस गरीब की दुकान को पलक झपकते मिटटी में मिला दिया। एक गरीब को दो वक्त की रोटी कमाने में कितना वक्त लगता है ये कोई गरीब ही बता सकता है। वो आदमी बार-बार पूछता रहा कि साहब मेरा कसूर क्या है ? लेकिन किसी ने कोई जवाब नही दिया। लेकिन शायद मुझे लगता है कि उसका कसूर सिर्फ इतना है कि वो गरीब है, और गरीब को सपने देखने का हक़ नहीं है। यह मामला है लखनऊ के एक कस्बे की जहा दो गरीब भाई अपने परिवार के गुजर बसर के लिए बाटी चोखा का ठेला लगाते है | हुसेड़िया चौराहे के पास नगर निगम के ऑफिस के बाहर सड़क किनारे ‘पुर्वांचल बाटी-चोखा’ नाम से रेहड़ी लगता था। दो भाई बलवंत और मुन्ना इसके सहारे अपने परिवार का पेट पालते थे। आसपास कुछ और भी ठेले लगते हैं। नगर निगम ऑफिस में एक कर्मचारी है, जिसे लोग नेता के नाम से जानते हैं। वह लगातार इनसे वसूली करता था। कुछ दिन पहले उसने बलवंत और मुन्ना से पांच सौ रुपए मांगे। कुछ दिनों से बिक्री अच्छी नहीं हुई थी। इसलिए वो रुपए नहीं दे पाए। शनिवार शाम करीब चार बजे अचानक नेता एक बुलडोजर लेकर पहुंचा और बिना कुछ बात किए रेहड़ी पर चढ़वा दी। रेहड़ी टूटी, रोजगार छिना सड़क किनारे बिखरे सामान और टूटे ठेले को देखकर बलवंत फूट-फूटकर रो पड़ा।