“शुक्रिया” …..
शुक्रिया ऐ जिंदगी तूने मुझे जीना सिखाया शुक्रिया ए खुदा तूने मुझे मरना सिखाया शुक्रिया उन नफरत करने वालों का जिन्होंने मुझे मोहब्बत करना सिखाया शुक्रिया रुलाने वालों का जिन्होंने मुझे हंसना सिखाया शुक्रिया उन तमाम गिराने वालों का जिन्होंने मुझे उठना सिखाया शुक्रिया उन दबाने वालों का जिन्होंने मुझे उड़ना सिखाया शुक्रिया जलाने वालों का जिन्होंने मुझे सहना सिखाया शुक्रिया अपमान करने वालों का जिन्होंने सम्मान पाना सिखाया शुक्रिया बुराई करने वालों का जिन्होंने अच्छा बनना सिखाया शुक्रिया रोकने वालों का जिन्होंने मुझे चलना सिखाया शुक्रिया और मिटाने वालों का जिन्होंने मुझे बनना सिखाया प्रतिभा “प्रिया” की…
उत्तरकाशी के दीपक रावत ने पैरा क्लाइंबिंग में बनाई अपनी पहचान
देहरादून/ उत्तरकाशी | उत्तरकाशी के रहने वाले दृष्टि दिव्यांग दीपक सिंह रावत जो कि वर्तमान में राष्ट्रीय दृष्टि दिव्यांगजन सशक्तीकरण संस्थान से डिप्लोमा इन स्पेशल एजुकेशन कर रहे हैं।हाल ही में कर्नाटक राज्य के बैंगलोर में 18 और 19 मई को इंडियन माउंटेनियरिंग फाउंडेशन ने पैरा क्लाइंबिंग कप 2022 का आयोजन किया।जिसमें विभिन्न राज्यो से आए दिव्यांग खिलाड़ियों (क्लाइंबर्स) ने भाग लिया।जिसमें पैरा खिलाड़ी को कृत्रिम दीवार पर चढ़ना होता है।उत्तराखंड की तरफ से दीपक ने इसमें अपना दमखम दिखाया और पैरा क्लाइंबिंग कप में दूसरा स्थान प्राप्त किया। दीपक की इस कामियाबी में प्रज्ञा भारद्वाज जी की अहम भूमिका…
पहचान : पिता मजदूर, खुद ठेले पर बेची चाय, फिर बना आईएएस अफसर
उत्तराखंड | आईएस अफसर जिसने बचपन बेहद गरीबी में काटा, स्कूल जाने के लिए रोजाना 70 किमी का सफर किया | इतना ही नहीं पिता का हाथ बंटाने के लिए चाय की दुकान पर काम तक किया | लेकिन उसने कभी हार नहीं मानी. जी हां, हम बात कर रहे हैं आईएस हिमांशु गुप्ता की | उत्तराखंड के हिमांशु गुप्ता ने अपनी कड़ी मेहनत से यूपीएससी की परीक्षा पास की और आईएएस अफसर बने. लेकिन उनकी कहानी बस इतनी भर नहीं है | इसके पीछे है लगन, हिम्मत, जज्बा और विपरीत हालातों में कुछ कर गुजरने का जुनून | आईएएस…
इनसे सीखे : पिता मजदूर, खुद ठेले पर बेची चाय, फिर बना आईएएस अफसर
उत्तराखंड ( पहचान कोना ) | आईएस अफसर जिसने बचपन बेहद गरीबी में काटा, स्कूल जाने के लिए रोजाना 65 किमी का सफर किया | इतना ही नहीं पिता का हाथ बंटाने के लिए चाय की दुकान पर काम तक किया लेकिन उसने कभी हार नहीं मानी| जी हां, हम बात कर रहे हैं आईएस हिमांशु गुप्ता की | अपनी कड़ी मेहनत से उत्तराखंड के हिमांशु गुप्ता ने यूपीएससी की परीक्षा पास की और आईएएस अफसर बने | लेकिन उनकी कहानी बस इतनी भर नहीं है | इसके पीछे है लगन, हिम्मत, जज्बा और विपरीत हालातों में कुछ कर गुजरने का…
उत्तराखंड : राज्यपाल लेफ्टिनेंट जनरल गुरमीत सिंह ने प्रदान की शोधार्थियों को पी.एच.डी उपाधि
देहरादून | राज्यपाल लेफ्टिनेंट जनरल गुरमीत सिंह (से नि) ने शुक्रवार को वीर माधो सिंह भण्डारी उत्तराखण्ड प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय, देहरादून के छठे दीक्षान्त समारोह में बतौर मुख्य अतिथि प्रतिभाग किया। इस अवसर पर तकनीकी शिक्षा मंत्री सुबोध उनियाल भी उपस्थित रहे। कार्यक्रम से पूर्व राज्यपाल ने विश्वविद्यालय प्रांगण में शहीदों की स्मृति में बनी ‘वाल ऑफ हिरोज’ पर पुष्प चक्र अर्पित कर शहीदों को श्रद्धांजलि दी। दीक्षान्त समारोह में उपस्थित छात्र-छात्राओं को सम्बोधित करते हुए राज्यपाल ने सभी मेडल और डिग्री प्राप्त करने वाले छात्र-छात्राओं व उनके अभिभावकों को बधाई व शुभकामनाएं दी। उन्होंने कहा कि विश्वविद्यालय के आदर्श…
जब जनाजा उठे मेरा तो काफिला हो करोड़ो आशिकों का ….
छूना है आसमान मुझे तारों को ज़मीं पर लाना है पूछना है पता बादलों से चांद को भी झुकाना है बेताबी सी है अपना वजूद जानने को अपनी ही हस्ती मिटा कर गुलिस्तां बनने को बड़ी तलब सी है फरिश्तों से मुलाकात करने की और शिद्दत सी है परियों से गुफ्तगू करने की ना जाने कैसा जुनू है खुद को फ़ना कर गुले गुलज़ार होने का मिटा करके अपनी ही हस्ती महकने का फितूर सा छाया है बड़ी दीवानगी सी है गुल से गुलिस्तां होने की कि दुनिया याद करे सदियों तक मुझे परवाने को नफरतों में पली-बढ़ी मोहब्बत…
पहचान : गलियों में ठेले पर बेचता था सब्जी, आज बना सिविल जज, जानिए खबर
सतना | किसान पिता और मजदूर मां के बेटे ने सिविल जज बनकर सतना जिले का नाम रोशन किया है | उनके संघर्ष की कहानी भी अनोखी है | उन्होंने इस पद पर पहुंचने के लिए कोई कोचिंग नहीं ली, बल्कि स्वयं से पढ़ाई करके दम पर ये मुकाम हासिल किया | उन्होंने ओबीसी वर्ग में पूरे मध्य प्रदेश में दूसरी रैंक हासिल की है. सिविल जज बनकर जब वे गांव गए तो उनका जोरदार स्वागत किया गया | सिविल जज शिवाकांत के पिता कुंजी लाल कुशवाहा का बेहद छोटा खेत है. इसमें वे सब्जियां उगाते हैं और बेचते हैं….
पहचान : ऋषिका मिश्रा के कथक नृत्य दर्शकों को किया मंत्रमुग्ध
देहरादून। विरासत आर्ट एंड हेरिटेज फेस्टिवल 2022 के चौदहवें दिन की शुरुआत डॉ. बी. आर. अंबेडकर स्टेडियम (कौलागढ़ रोड) देहरादून में ’प्रतियोगीयों को पुरस्कार सम्मान देकर किया गया। विरासत 2022 जिसका आयोजन 15 अप्रैल से 29 अप्रैल तक चल रहा है जिसमे विभिन्न प्रकार के प्रतियोगीताओं को आयोजित किया गया था और उन सभी का परिणाम आज घोषित किया गया। फोटोग्राफी प्रतियोगिता में जसवंत मॉडर्न स्कूल के सौम्या मैकृति प्रथम, ईश्वर उनियाल दून इंटरनेशनल स्कूल द्वितीय पुरस्कार एवं खुशी विष्ट हिम ज्योति स्कूल को तृतीय पुरस्कार मिला। सीट एंड ड्रॉ कंपटीशन में अनुराग रमोला, के वी ओएनजीसी को प्रथम…
गर्व : इंडियन ब्लाइंड फुटबॉल टीम में उत्तराखंड के तीन चेहरे को फिर मिला मौका
देहरादून | आईबीएफएफ (इंडियन ब्लाइंड फुटबॉल फेडरेशन) ने मई 3 से 9 तक इंग्लैंड दौरे के लिए भारतीय ब्लाइंड फुटबॉल टीम की घोषणा कर दी है।टीम 3 मई को कोच्चि केरल से रवाना होगी और इंग्लैंड ब्लाइंड फुटबॉल टीम के साथ तीन मैच खेलेगी।टीम के हेड कोच सुनील जे मैथ्यू ने बताया कि “इस बार पहली बार 45 दिनों का कोचिंग कैंप लगा है और टीम में काफी अच्छा बदलाव आया है।हमें अब मैचेज खेलने होंगे क्योंकि इंडिया टीम ने पैरा एशियन गेम्स के लिए भी क्वालीफाई किया हुआ है जो कि अक्टूबर माह में चीन में होने…
दिहाड़ी मजदूरी करने वाली “रेजा” की बेटी अनिता का फुटबॉल के फीफा अंडर 17 वर्ल्ड कप के लिए हुआ चयन
रांची | ओरमांझी प्रखंड के करमा गाँव की अनिता महतो का चयन राष्ट्रीय स्तर पर फुटबॉल के फीफा अंडर 17 वर्ल्ड कप के लिए हुआ है, उनकी माँ “रेजा” मजदूरी का काम कर, परिवार का भरन पोषण करती है | बेटियों के आत्मसम्मान के लिए आत्मबल और आत्मविश्वास से लबरेज इस जुनूनी माँ अपने बेटी के लिए संघर्षरत रही अनिता की माँ रोज सौ दो सौ रुपये की दिहाड़ी करती इसके लिए वह मोराबादी आकर अपने “श्रम शक्ति” की खुले आम बोली लगाती है | अनिता के कोच आनंद की मेहनत रंग ला रही है, शुरुआती दिनों में…