अधिकारी , राजनीतिक दबाव और राजनेता
देश में जिस तरह से राजनीतिक दबाव अपनी पैर पसार रही है यह देश के लिए अच्छा संकेत नहीं है | देश में लगभग सभी विभागों में राजनीतिक दबाव इतनी हावी होती जा रही है जिसका अंदाजा आने वाले समय में लगाना बहुत ही कठिन होगा | देश में राजनीतिक दबाव का सबसे बड़ा असर पुलिस विभाग में होता है | दबाव के रास्ते से देश के नेताओ द्वारा खुद ही सही गलत का निर्णय लेना कितना उचित है यह आप वर्तमान समय में देख ही रहे है | उच्च स्तर से लेकर निचले स्तर तक के अधिकारियों का अधिकारी बनने से पहले का संघर्ष और अधिकारी बनने के बाद का संघर्ष में कोई अंतर नहीं दिखता | जहां अधिकारियों द्वारा देश के विकास रूपी खाका तैयार करने में अपना पूरा मेहनत झोक देते है वही एक पांचवी पास नेता अपने स्वार्थ के कारण उस पर ऐसे पानी फेर देता है जैसे कोई मोल ही न हो | आखिर अधिकारियों को स्वतंत्र रूप में कार्य क्यों नहीं करने दिया जाता , उधर सच्चाई यह भी है कुछ अधिकारी ऐसे भी है जो अपनी मनमानी करने में कोई कोरकसर नहीं छोड़ते | देश को विकास रूपी नाव में सवार होना है तो अधिकारियों को राजनीतिक दबाव से स्वतंत्र करना ही होगा | जहां गलत अधिकारियो को सबक भी सिखाया जाए वही सही अधिकारियों को राजनीतिक दबाव से स्वतंत्र भी किया जाए | नेताओ के लिए भी ऐसी कानून बने जिससे वह यह कदम न उठा सके | कानून का अर्थ कठोर कानून , काम चलाऊ कानून नहीं होना चाहिए |