आईएसबीटी का फ्लाईओवर फिर विवादों के घेरे में….
देहरादून । आईएसबीटी के पास बना वाईशेफ फ्लाईओवर उद्घाटन के बाद से विवादों में घिर गया है। पहले सीधे आकार में बने इस फ्लाई ओवर के बीचों बीच वाई शेप वाला हिस्सा जोड़ने से आई तकनीकी खामियों की वजह से दुर्घटनाओं के आसार बढ़ गए हैं। दरअसल, पहले तैयार फ्लाई ओवर के जिस बीच वाले भाग पर वाई शेप जोड़ा गया, जिससे हरिद्वार रोड की तरफ से आने वाला ट्रैफिक के लिए स्प्रिंग पोस्ट लगा दिए गए हैं, जिसकी वजह से फ्लाई ओवर बीच के हिस्से से संकरा हो गया है। इतना ही नहीं दोनों लेन की डेड एंड सीधा है, जिस वजह से वाहनों का आपस में टकरने जैसी स्थिति बन जाती है। आईएसबीटी के इस वाई शेप फ्लाई ओवर पर तकनीकी समस्या इसलिए सामने आ रही है क्योंकि इस इसाका निर्माण पहले वाई शेप डिजाइन के तहत नहीं हुआ था। बाद में ट्रैफिक को डायवर्ट करने के लिए सीधे फ्लाई ओवर पर वाई शेप का हिस्सा जोड़ा गया। वाई शेप फ्लाई ओवर वन-वे ट्रैफिक के लिए है, जिसका इस्तेमाल हरिद्वार बाईपास रोड से सहारनपुर तरफ जाने के लिए किया जा रहा है। ऐसे में हरिद्वार रोड से आने वाला ट्रैफिक सीधे शहर के बाहर चला जाएगा। बताया जा रहा है कि यह वाई शेप फ्लाई ओवर पूर्व कांग्रेस सरकार की कैबिनेट में रहे एक मंत्री के राजनीतिक दबाव के कारण बनाया गया है। इस मामले में संबंधित लोक निर्माण विभाग के आला अधिकारियों की मानें तो फ्लाईओवर के निर्माण को लेकर साफ तौर फ्लाईओवर के विवादों में घिरने को लेकर सरकारी कार्यदायी संस्था उत्तराखंड लोक निर्माण विभाग के प्रभारी चीफ इंजीनियर हरिओम शर्मा ने खतरा होने से इनकार कर दिया है। उन्होंने बताया कि पहले से तैयार हो रहे फोर लेन फ्लाई ओवर में एक अलग से हिस्सा वाई शेप वाली एक नयी लेन जोड़ना बड़ी समस्या का कारण बन रहा था। क्योंकि रोड के दोनों तरफ दुकानों और सड़क की वजह से निर्माण में मार्जन नहीं मिल रहा था। ऐसे में फोरलेन वाले सीधे फ्लाईओवर पर ही वाई शेप हिस्सा जोड़ दिया गया। हालांकि, फ्लाईओवर के बीच में एंगल ऑफ कंवर्जन का ध्यान रखा गया है, जो 15 से 20 डिग्री के एंगल पर रखा जाता है. चीफ इंजीनियर का मानना है कि फ्लाई ओवर पर ट्रैफिक सुरक्षा के बंदोबस्त कर दिए गए हैं। आईएसबीटी वाई शेप वाले इस फ्लाई ओवर विवादों के घेरे में फंसने के बाद शासन द्वारा इसकी तकनीकी जांच के आदेश हो चुके हैं। इसके बाद अब इसके निर्माण कार्य और तकनीकी खामियों को बारिकियों से देखा जा रहा है। हालांकि शासन द्वारा इस फ्लाईओवर की जांच वाले आदेश पर भी सवाल खड़े हो रहे हैं। कहा जा रहा है कि जब लोक निर्माण विभाग ने इस फ्लाईओवर को पहले ही जोड़ने से मना कर दिया था तो जांच किस तरह से आगे बढ़ेगी। पर तकनीकी समस्या का हवाला देते हुए विभागीय इंजीनियरों ने पहले इस डिजाइन से फ्लाई ओवर नहीं बनाया था।