आपदा से हुए नुकसान एवं राहत कार्यों की सीएम त्रिवेंद्र ने की समीक्षा
मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने सचिवालय में प्रदेश में आपदा से हुए नुकसान एवं राहत कार्यों की सभी जिलाधिकारियों के साथ वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से समीक्षा की। वीडियों कॉन्फ्रेंसिंग के दौरान मुख्यमंत्री ने सभी जिलाधिकारियों को निर्देश दिए कि आपदा के दौरान राहत एवं बचाव कार्यों को त्वरित गति से संपन्न कराया जाए। इसके लिए धन की कमी नहीं होने दी जाएगी। त्वरित राहत हेतु सभी जिलाधिकारियों को अब तक कुल 77 करोड़ रुपए की धनराशि उपलब्ध कराई गई है। सड़कों के त्वरित मरम्मत के लिए 16 करोड़ की धनराशि उपलब्ध कराई गई है। मुख्यमंत्री ने सभी जिलाधिकारियों को इस संबंध में सतर्कता बरतने और आपदा प्रंबधन तंत्र को प्रभावी बनाए रखने के साथ ही आपदा आपातकालीन केंद्रों को 24 घंटे क्रियाशील रखे जाने के निर्देश दिए। उन्होंने निर्देश दिए कि राज्य आपातकालीन केंद्र से सभी जिले निरन्तर सम्पर्क में रहें। किसी भी आपातकालीन घटना की सूचना अविलम्ब शासन को भेजी जाए। उन्होंने सभी संबंधित विभागों को आपस में समन्वय बना कर कार्य करने के निर्देश दिए। उन्होंने वर्षा के दौरान संक्रमण से फैलने वाली बीमारियों की सम्भावना का आंकलन कर इससे बचने के लिए आवश्यक तैयारियों को पूरा करने के साथ ही पशुओं में होने वाले रोगों की सम्भावना और इससे बचने के उपायों एवं आवश्यक तैयारियों को पूर्ण करने के भी निर्देश दिए। मुख्यमंत्री ने जनपदवार दैवीय आपदा से हुई जन व पशु हानि, भवन, भूमि सरकारी परिसम्पत्तियों की हानि की विस्तृत जानकारी प्राप्त की। मुख्यमंत्री ने सभी जनपदों में घटित होने वाली सूचनाओं के आंकड़ो का मिलान सही ढंग से रखे जाने के निर्देश देते हुए कहा कि आपदा से होने वाले नुकसान का सही ब्यौरा तैयार रहना चाहिए, इसके लिये अधिकारी अपनी जिम्मेदारी समझे। मुख्यमंत्री ने यह भी निर्देश दिये कि जो कार्य आपदा के मानकों में नही आते हैं उनके प्रस्ताव शासन को भेजे जाय इसके लिये धनराशि उपलब्ध करायी जायेगी। उन्होंने विभागों से दैवीय आपदा मद की भी व्यवस्था सभी विभागों में किये जाने के निर्देश दिये। नैनीताल माल रोड के क्षतिग्रस्त होने के सम्बंध मे मुख्यमंत्री ने निर्देश दिये है कि इसके लिये विशेषज्ञों की टीम वहां भेजी जाय ताकि इसका पूर्ण कारगर उपचार किया जा सके। उत्तरकाशी में वरूणावत में पैदा हो रहे नये पेच के लिये विशेषज्ञों को भेजे जाने के निर्देश देते हुए उन्होंने कहा कि यमुनोत्री के लिये भी पूरा मास्टर प्लान तैयार किया जाय ताकि भविष्य में यात्रियों के आवागमन में सुविधा हो सके। इसके साथ ही मुख्यमंत्री ने पिथौरागढ़ के व्यास व दरमाघाटी के लिये कम्यूनिकेशन प्लान तैयार करने के भी निर्देश दिये। मुख्यमंत्री ने कोटद्वार में पनियाला नाले व सुखरो नदी से होने वाले नुकसान का भी ट्रीटमेंट प्लान तैयार करने को कहा तथा इससे हो रहे नुकसान के कारणों पर ध्यान देने को कहा है। मुख्यमंत्री ने बद्रीनाथ, केदारनाथ, यमुनोत्री, गंगोत्री एवं हेमकुण्ड साहिब की यात्रा स्थिति की भी जानकारी प्राप्त की। सम्बंधित जिलाधिकारियों द्वारा बताया गया कि यात्रा सुगम्य रूप से संचालित हो रही है। मार्ग बंद होने पर सड़क खोलने की त्वरित व्यवस्था सुनिश्चित की जाती है, तथा यात्रियों की सुविधा का भी पूरा ध्यान रखा जा रहा है। मुख्यमंत्री ने केदारनाथ में किए जा रहे पुनर्निर्माण कार्यों को 31 अक्टूबर 2018 तक पूर्ण किए जाने के निर्देश जिलाधिकारी रूद्रप्रयाग को दिए हैं। मुख्यमंत्री ने यात्रा अवधि में रूद्रप्रयाग में यात्रामार्ग खोलने के रिस्पोंस टाईम को 15 से 20 मिनट तक रखने के लिए जिलाधिकारी की प्रशंसा भी की। बैठक में बताया गया कि राज्य में मानसून अवधि में घटित प्राकृतिक आपदाओं के कारण 52 लोगों की मृत्य, 07 लोग घायल एवं 06 लोग लापता हैं। आपदा से प्रदेशभर में 119 बड़े पशु एवं 388 छोटे पशुओं की हानि हुयी है। बैठक में मुख्य सचिव उत्पल कुमार सिंह सहित शासन के उच्चाधिकारी व जिलाधिकारी उपस्थित थे।