इसरो का बना बैज्ञानिक झोपड़-पट्टी में रहने वाला यह लड़का , जानिए खबर
25 साल के प्रथमेश हिरवे उस जगह पर जाने वाले हैं जहां आज तक कोई मुंबईवासी नहीं पहुंच सका। पवई के स्लम इलाके में स्थित अपने छोटे से घर में दिन रात मेहनत से पढ़ाई करने वाले प्रथमेश ने भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) की परीक्षा पास कर ली है। अब वे वहां पर वैज्ञानिक के तौर पर काम करेंगे। उनकी कहानी जितनी संघर्षों भरी है उतनी ही दिलचस्प भी है। फिल्टरपाड़ा स्लम एरिया काफी घनी आबादी वाला इलाका है, जहां सुकून से पढ़ाई कर ले जाना ही किसी संघर्ष से कम नहीं है। प्रथमेश के दोस्त और पड़ोसी उन्हें हमेशा पढ़ते ही देखते थे। मिड-डे की एक रिपोर्ट के मुताबिक पड़ोसी अक्सर उनसे अक्सर पूछते थे कि वे इतना पढ़-लिखकर जिंदगी में क्या हासिल कर लेंगे, लेकिन प्रथमेश का आत्मविश्वास इन बातों से नहीं डिगता था। वे बताते हैं, ‘मेरे माता-पिता मुझे साउथ मुंबई में एक टेस्ट के लिए ले गए। जहां एक करियर काउंसलर ने उन्हें विज्ञान के बजाय आर्ट्स विषय को पढ़ने की सलाह दी। काउंसलर ने कहा था कि प्रथमेश का चचेरा भाई तो साइंस पढ़ने के काबिल है लेकिन वे नहीं। यह सुनकर प्रथमेश काफी हताश और निराश हुए, लेकिन उन्होंने हार न मानने की ठान ली।’ उन्होंने अपने माता-पिता से कहा कि अब चाहे जो हो जाए वे इंजिनियर बन के ही रहें।