उत्तरांखण्डी भोजन को व्यापक पहचान मिलेः सेमवाल
देहरादून । हिमालय पर्यावरण जड़ी बूटी ऐग्रो संस्थान जाडी ने वर्ष 2008 में परंपरागत भोजन को पहचान दिलाने का कार्य शुरू किया था। जिसके तहत गढ़वाल व कुमांऊ में विभिन्न जगहों पर स्थानीय भोजन व उनके प्रकारों पर चर्चा की। उत्तरांचल प्रेस क्लब में आयोजित प्रेस वार्ता में द्वारिका प्रसाद सेमवाल ने कहा कि गढ़भोज को मिड डे मील, सरकारी कैटीन, हाॅस्पिटल, आॅंस्टल, अतिथि गृह होटल, रेस्टारेंट में सप्ताह में एक दिन अनिवार्य रूप से परोसे जाने की व्यवस्था की जाये। सरकारी बैठकों प्रशिक्षण सेमिनार मेला प्रदर्शनी आदि मे अनिवार्य रूप से शामिल किया जाय। उन्होने कहा कि गढ़भोज के अंतर्गत आने वाले व्यंजनों के प्रमाणीकरण की व्यवस्था की जाय, ताकि पांच सितारा होटल इसे अपने मेन्यू मे शामिल कर सकें। उन्होने कहा कि विशेष भौगोंलिक परिस्थितियों वाले उत्तराखंड में जो भोज्य पदार्थ है वे पौष्टिक होने के साथ ही औषधीय गुणों से भरपूर है ऐसी विशेषता के कारण ये भोज्य पदार्थ देश भर में अपनी खास पहचान बना सकते है। द्वारिका प्रसाद सेमवाल ने मुख्यमंत्री को दिए विज्ञापन में कहा कि उत्तराखंण्ड के परंपरागत भोजन गढ़भोज को मिड डे मील व अन्य स्थानों पर इसे शुरू किया जाए।