कांग्रेस में टूट के लिए खुद कांग्रेस ही जिम्मेदार : कोश्यारी
देहरादून। नैनीताल सांसद और पूर्व मुख्यमंत्री भगत सिंह कोश्यारी ने कहा कि उत्तराखंड में कांग्रेस में टूट के लिए कांग्रेस खुद ही जिम्मेदार है, इसमें भाजपा और पीएम नरेंद्र मोदी का नाम जबरदस्ती घसीटा जा रहा है। उन्होंने कहा कि कांग्रेस के घर में यदि आग लगती है तो वो आग कांग्रेस के घर के चिराग ही लगाते हैं। राजपुर रोड स्थित एक होटल में आयोजित पत्रकार वार्ता में सांसद भगत सिंह कोश्यारी ने निवर्तमान सीएम हरीश रावत पर चुटकी लेते हुए है कहा कि खिसियानी बिल्ली खंभा नोचे। उन्होंने कांग्रेस का इतिहास बताते हुए कहा कि 1975 से 1977 में इमरजेंसी के दौरान कई नेताओं को जेल में डाला गया। इससे दुखी होकर मोरारजी देसाई, चंद्रशेखर, जगजीवन राम और हेमवंती नंदन बुहुगुणा ने कांग्रेस छोड़ी थी। उन्होंने कहा कि उत्तराखंड में कांग्रेस में टूट के लिए कांग्रेस खुद जिम्मेदार है, इसमें भाजपा का कोई हाथ नहीं है। उन्होंने कहा कि एक भ्रम फैलाया जा रहा है कि कांग्रेस में टूट के लिए भाजपा जिम्मेदार है, यह भ्रम दूर होना चाहिए। कांग्रेस के घर में यदि आग लगती है तो वो आग कांग्रेस के घर के चिराग ही लगाते हैं। कांग्रेस में उसके कुछ विधायकों को घुटन हो रही थी, इसलिए उन्होंने विद्रोह किया। एक साल पहले भी कांग्रेस में ऐसी कोशिश हुई थी। भाजपा पर ऐसा आरोप लगाने वाले निवर्तमान सीएम को कांग्रेस का इतिहास पता होना चाहिए। उन्होंने कहा कि भाजपा के एक विधायक को कांग्रेस अपने साथ लेकर लेकर घूम रही है, तब वह नैतिकता कहां गई। 18 मार्च को कांग्रेस भाजपा के एससी विधायक भीमलाल आर्य अपने साथ भगा ले गई। अब जब खुद उनके नौ विधायक बागी हो गए हैं तो कांग्रेस भाजपा पर क्यों आरोप लगा रही है। उन्होंने कहा कि उत्तराखंड में राष्ट्रपति शासन लागू करने में भाजपा का कोई हाथ नहीं है। उत्तराखंड में संवैधानिक सकंट पैदा होने के कारण राष्ट्रपति शासन लगाना पड़ा। उन्होंने कहा कि संविधान में व्यवस्था है कि यदि विधानसभा या लोकसभा में वित्त विधेयक पारित नहीं हो पाता है तो सरकार चली जाती है। वित्त विधेयक पर सदन में एक भी सदस्य द्वारा मत विभाजन की मांग करने पर मत विभाजन करना पड़ता है। भाजपा ने तो स्पीकर को मत विभाजन के संबंध में खिकर भी दे दिया था। उन्होंने कहा कि 18 मार्च को उत्तराखंड विधानसभा में प्रजातंत्र की हत्या हुई। भाजपा और कांग्रेस के नौ बागी विधायकों के वित्त विधेयक के खिलाफ खड़े होने के बावजूद स्पीकर ने बजट को पारित घोषित कर दिया, जो कि असंवैधानिक है।