कुछ ऐसे लोग, जिनकी दिवाली होती है कुछ ‘अलग’
गुड़गांव | दिवाली पर हम अपने घर को रोशनी से भर देते हैं, मिठाई बांटते हैं और आतिशबाजी का लुत्फ उठाते हैं। दिवाली की तैयारियों को लेकर बाजार सज गए हैं और लोगों ने खरीदारी भी शुरू कर दी है। सुप्रीम कोर्ट के आदेश और प्रदूषण की समस्या को देखते हुए लोगों के बीच पटाखे जलाने या न जलाने की बहस भी जारी है। हमारे बीच कुछ ऐसे लोग हैं जो इसे कुछ अलग अंदाज में मनाते हैं। इन सबसे अलग दिल्ली से सटे गाजियाबाद के इंदिरापुरम के शिप्रा रिवेरा निवासी एक दंपती की दिवाली है। इसके जरिए यह कपल कई घरों के भविष्य को भी रोशन कर रहा है। निधि व जितेंद्र तोमर ने बताया कि हमने एक बार दिवाली के दिन कुछ बच्चों को देखा जो बड़ी ही उम्मीद भरी आंखों से हमें त्योहार मनाते हुए देखते थे। एक-दो बार हमने उन्हें पटाखे दिए और साथ में दिवाली मनाई तो वे खुश तो हुए, लेकिन त्योहार बीतने के बाद वे फिर मायूस हो जाते थे क्योंकि वह हम लोगों के बच्चों को पढ़ते-खेलते देखते थे और यह दोनों ही बातें उनसे कोसों दूर थी। मैंने और मेरे पति ने इस बात को समझा और तय किया कि हम इन बच्चों को पढ़ाएंगे। इसके बाद हमने एक एनजीओ की मदद से स्लम के बच्चों को शाम के स्कूल में जाने के लिए मनाया और किताबें और स्टेशनरी भी मुहैया कराईं। निधि व जितेंद्र ने बताया कि पटाखे जलाने से अधिक जरूरी है कि किसी बच्चे के मान ज्ञान का उजाला किया जाए। इकोफ्रेंडली त्योहार मनाने का इससे अच्छा तरीका नहीं है। इस बार की तैयारी को लेकर उन्होंने बताया कि हमने बच्चों के लिए स्टेशनरी खरीद ली है और उन्हें उनकी यूनिफॉर्म भी देंगे, ताकि वे खुद को अन्य बच्चों से कम न आंके। हम पिछले तीन साल से ऐसा कर रहे हैं।