गंगा की तरह पवित्र, प्रवाहमान व गतिमान रहना योग की फलश्रुति : सरस्वती
ऋषिकेश। अन्तरराष्ट्रीय योग महोत्सव के पाँचवे दिन परमार्थ निकेतन परिसर में नित्य की भाँति विभिन्न कक्षायें चलीं। पाँच अलग-अलग स्थानों पर विभिन्न योग विधाओं के योग-गुरुओं ने विश्व के कोने-कोने से आए योग-प्रशिक्षुओं को सफल व सार्थक जीने के सूत्र सिखलाए तथा उसके लिए योगासन भी सुझाए। आज कुण्डलिनी ध्यान योग, नाद, प्राणायाम, सूर्य साधना, भावना, वासना एवं अहंकार पर नियंत्रण, गंगा फ्लो मेडिटेशन आदि विषयों पर बौद्धिक कक्षाओं ने लोगों का ज्ञानवर्धन किया। आज भारत में अमेरिका के राजदूत रिचर्ड वर्मा भी परमार्थ निकेतन पहुँचे और उन्होंने योग प्रशिक्षणार्थियों से भेंट की। अमेरिकी राजदूत ने गंगा आरती में भी भाग लिया।अमेरिकी राजदूत रिचर्ड वर्मा ने गंगा आरती में मौजूद दुनिया के विभिन्न देशों के योग जिज्ञासुओं तथा गंगाप्रेमियों को सम्बोधित करते हुए कहा कि मानव जीवन परमात्मा की सबसे बड़ी नियामत है। उस जीवन को उत्कृष्ठ ढंग से जीने की बातें सिखाना सबसे बड़ा धर्म है। श्रेष्ठ जीवन जीने के लिए योग सबसे बढि़या जरिया है, इसका प्रशिक्षण बड़े पैमाने पर परमार्थ निकेतन में दिया जा रहा है, यह देखकर वह भाव विभोर है। उन्होंने पर्यावरण के प्रति लोगों में संचेतना जागृत करने के परमार्थ अभियान की सराहना की। आज की व्यवहारिक कक्षाओं की शुरुआत प्रातः 4 बजे कुण्डलिनी साधना की कक्षा से शुरु हुई, जिसमें योगी भजन की शिष्या, सिक्ख सुखमन्दिर सिंह खालसा ने इस साधना का अभ्यास कराया। इसका विषय था ‘प्रेम तथा प्राणायाम एवं नाद’। अन्य कक्षाओं में, फिलाडेल्फिया, अमेरिका की एरिका काफमैन द्वारा लिली सूर्य नमस्कार, टोमी रोजेन द्वारा दिव्य आवृति की ओर गमन, जापान के अकिरा वातामोतो द्वारा बन्धाज एवं लाक तथा दक्षिण अफ्रीका की भाविनी काला द्वारा कुण्डलिनी नमस्कारम् प्रवाह की कक्षायें सम्पन्न हुईं।मध्यान्ह्कालीन कक्षाओं में साधना, आसन के माध्यम से गंगा योग, प्राणायाम, एवं मंत्र की कक्षायें सैन डियोग-अमेरिका की लौरा प्लम्ब द्वारा संचालित की गयीं। डाॅ0 एच. एस. अरूण ने वासना, भावनाओं एवं अहं पर नियंत्रण विषयों पर साधकों का मार्गदर्शन किया। आंयगार योग के शिक्षक भरत शेट्टी ने ‘इण्डिया विन्यास योग’ का अभ्यास कराया। ’कैलिबर आफ लाइफ- अण्डर स्टैण्डिगं योर गुडनेश’ विषय पर गुरूमुख कौर खालसा द्वारा कुण्डलिनी योग का अभ्यास कराया गया तथा कैलिफोर्निया-अमेरिका के सोल डेविड राये ने अर्द्ध-प्रेयर का अभ्यास कराया। गंगा योग के बारे में बताते हुये लौरा प्लम्ब ने कहा कि प्रवाह के साथ प्रवाहमान बनो, स्वयं को प्रवाहमान बनने दो, एवं गंगा को भी प्रवाहित होने दो। ईश्वर की ईच्छा के प्रति स्वयं को समर्पित कर दो। स्वामी चिंदानंद सरस्वती ने कहा कि स्वयं से पूछों कि आप क्या भूलना चाहते है ? किस प्रकार भूलने की क्रिया आपके जीवन में करुणा की नदी प्रवाहित कर सकती है? गंगा हमें हृदय की उदारता सिखाती है। वह हमारे अतीत को पवित्र करती है, आत्मा को शुद्ध करती है तथा हृदय के सागर की ओर ले जाती है। गंगा हमें प्रेम का दरिया बनना सिखाती है।