गरीब रैली नहीं निकाल सकती मलिन बस्तियों कि समस्या का हल:मैड
देहरादून| मेकिंग ऐ डिफरेंस बाय बीइंग द डिफरेंस (मैड) 8 जून2011 से प्रत्येक रविवार (अबतक कुल 200) देहरादून में समाज हित में किसी न किसी कार्यक्रम का संचालन करता आ रहा है| इनमें सफाई एवं जागरूकता अभियान, कायापलट अभियान, वृक्षारोपण , गरीबों में खाद्य एवं ज़रूरी सामग्री बांटने के कार्यक्रम, इत्यादी शामिल है| साथ ही साथ हम सरकारी तंत्र को भी संवेदनशील बनाने के लिए समय समय पर उनसे अपनी शोध साँझा करते रहते हैं|मैड द्वारा मलिन बस्तियों के पुनर्वास एवं सिकुड़ती नदियों को पुनः जीवित करने के सन्दर्भ में भी अभियान चलाये जा रहे हैं| हाल ही में देहरादून में आयोजित कि गयी “गरीब रैली” एक गंभीर समस्या का राजनैतिक फायदा उठाने का निंदनीय कदम है| मैड उन सभी मलिन बस्तियों के पुनर्वास का पुरजोर समर्थन करता है जो रिस्पना, बिंदाल जैसी नदियों के ऊपर बसी हैं| नदी पथ पर निर्माण का क्या हश्य हो सकता है, इसकी मिसाल जून २०१३ में इसी प्रदेश में घटी दैवीय आपदा ने पेश कि थी| आज इस प्रदेश कि राजधानी उसी सीख को भूलती जा रही है|. मुख्यमंत्री हरीश रावत खुद मैड के नदी बचाओ आन्दोलन का समर्थन कर चुके हैं, जिसमें उन्होंने बिंदाल और रिस्पना को देहरादून शहर के दो फैन्फडे कहा था| यही बात उन्होंने मैड को उनके द्वारा दी गयी चाय पार्टी में भी दोहराई थी| इसकी वीडियो मैड के पास मौजूद है| शहर के फैन्फ्ड़ो पर अतिक्रमण का नियमितीकरण फैन्फ्ड़ो को मारने का ही काम करेगा| सुप्रीम कोर्ट ने हिंच लाल तिवारी के केस में यह स्पष्ट किया था कि अपने सूखते जल स्त्रोतों को बचाना प्रत्येक राज्य सरकार का दायित्व है| इलाहबाद हाईकोर्ट ने इकबाल अहमद (२००१) के केस में उत्तर प्रदेश सरकार को लताड़ लगा चुकी है के उत्तर प्रदेश के सैंकड़ों जल स्त्रोतों को पुनर्जीवित किया| जसपाल सिंह बनाम पंजाब सरकार के मामले में उच्चतम न्यायलय ने अतिक्रमण कि लम्बी अवधि को मान्यता का मापदंड मानने को भी गलत ठहराया था| इसलिये, देहरादून में सभी मलिन बस्तियों को, खासकर उनको जो नदियों पर बसी है, मालिकाना हक़ देने कानों के खिलाफ है|निम्नलिखित बिन्दुओ को ध्यान में रखते ही मैड देहरादून शहर में एक व्यापक जागरूकता एवं हस्ताक्षर अभियान चलाएगा|आज कि इस प्रेस कांफ्रेंस में संगठन के संस्थापक अध्यक्ष अभिजय नेगी, समन्वयक शार्दुल सिंह राणा, सौरभ नौटियाल, सौरव जोशी, शोरव उपाध्याय, परही बतोला, मानवेन्द्र रावत इत्यादि मौजूद थे|