गहरी निंद्रा में सोया है आपदा प्रबंधन विभाग, जानिए खबर
रुद्रप्रयाग। लगता है कि जिले का आपदा प्रबंधन विभाग गहरी निंद्रा में सोया हुआ है। विभाग का वाहन चार माह से मुख्यालय के गुलाबराय के समीप राष्ट्रीय राजमार्ग के किनारे धूंल फांक रहा है और विभाग है कि वाहन को दुरूस्त करने के वजाय हाथ पीछे खींच रहा है, जबकि जनपद आपदा की दृष्टि से अति संवेदनशील है। आपदा तंत्र को मजबूत करने के उद्देश्य से वर्ष 2014 में तत्कालीन कृषि मंत्री एवं विधायक रुद्रप्रयाग डाॅ हरक सिंह रावत ने विधायक निधि से आपदा विभाग को साढ़े सात लाख की लागत से पिकप वाहन उपलब्ध कराया था। वाहन के उपलब्ध होने के बाद विभागीय कर्मचारी और अधिकारियों में भी काफी खुशी थी, क्योंकि विभाग पहले से ही संसाधनों को रोना रो रहा था। ऐसे में वाहन ने विभाग की जान में जान आने जैसा काम कर दिया। लेकिन आज दुर्भाग्य है कि चार माह गुजर चुका है, लेकिन विभाग वाहन को दुरूस्त नहीं कर पाया है। जहां पर वाहन खराब हुआ, वहीं पर वाहन को छोड़कर अधिकारी और कर्मचारी निकल लिये और वाहन का ट्रीटमेंट न होने से वाहन के चारों ओर धूल जम गई है। पहले ही जनपद आपदा और दुर्घटनाओं से जूझ रहा है, बावजूद इसके आपदा प्रबंधन तंत्र मजबूत होने के वजाय और कमजोर होता नजर आ रहा है। ऐसे में जनता में आपदा प्रबंधन के खिलाफ आक्रोश बना हुआ है। पूर्व सभासद बाइट अजय सेमवाल ने कहा कि रुद्रप्रयाग जनपद आपदाग्रस्त जिला है। आपदा और दुर्घटनाएं होने पर समय पर कभी भी आपदा की टीम समय से नहीं पहुंच पाती हैं। ऐसे में प्रभावितों को काफी दिक्कतें होती हैं। चार माह से आपदा प्रबंधन विभाग का वाहन खराब पड़ा है। मुख्यालय में सभी अधिकारी मौजूद हैं, बावजूद इसके कोई कार्रवाई नहीं की जा रही है। वहीं जिलाधिकारी मंगेश घिल्डियाल का कहना है कि आपदा प्रबंधन विभाग के पास दो वाहन हैं, जिसमें एक वाहन के खराब होने पर सर्विसिंग के लिए दिया गया, मगर वाहन में तकनीकि खराबी के चलते और मैकेनिक के उपलब्ध न होने से देहरादून से मैकेनिक को बुलाया गया है। मैकेनिक के आने के बाद वाहन को दुरूस्त किया जायेगा। दुख की बात यह है कि पहले जिला आपदा से जूझ रहा है। यहां किस समय आपदा का कहर टूट जाय, यह कहना मुश्किल है। छोटी सी दुर्घटना होने या आपदा आने के बाद आपदा प्रबंधन तंत्र की पोल खुल जाती है। ऐसे में यह भी बड़ा सवाल बन गया है कि आखिर कब आपदा का वाहना ठीक हो पायेगा या फिर वाहन राजमार्ग के किनारे ही अपनी दुर्दशा पर आंसू बहाता रहेगा।