गढ़ नहीं छोड़ेंगे योगी आदित्यनाथ
लखनऊ। भाजपा सरकार के इसी महीने 100 दिन पूरे होने वाले हैं और इसी के साथ यह भी लगभग साफ होने लगा है कि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ गोरखपुर के ही किसी क्षेत्र से चुनाव लड़कर विधानसभा की सदस्यता लेंगे। वह गोरखपुर ग्रामीण क्षेत्र से चुनाव लड़ सकते हैं और इसके लिए औपचारिक तैयारियां भी शुरू कर दी गई हैं। हालांकि आधिकारिक रूप से इसकी पुष्टि करने को अभी कोई तैयार नहीं है। इस क्षेत्र से जीते विपिन सिंह की मंदिर के प्रति निष्ठा को देखते हुए भी इस संभावना को बल मिलने लगा है। मुख्यमंत्री समेत उनके दोनों उप मुख्यमंत्रियों केशव प्रसाद, डा.दिनेश शर्मा और दो मंत्रियों स्वतंत्र देव सिंह और मोहसिन रजा के लिए छह माह के भीतर विधानसभा या विधान परिषद की सदस्यता लेना अनिवार्य है। योगी और केशव वर्तमान में सांसद हैं और राष्टन्न्पति चुनाव को देखते हुए अभी पार्टी ने उन्हें इस्तीफा नहीं देने दिया है। जून में राष्टन्न्पति चुनाव हो जाने के बाद पार्टी का पूरा ध्यान इनके विधानसभा चुनाव पर ही होगा। इससे पहले योगी के बुंदेलखंड, पश्चिमी उत्तर प्रदेश और अयोध्या तक से लड़ने की चर्चाएं अलग-अलग समय पर उठी थीं लेकिन इस माह उनके गोरखपुर दौरों को देखते हुए यह माना जाने लगा है कि वह अपने सियासी गढ़ को नहीं छोड़ेंगे। गोरखपुर ग्रामीण को बीते विधानसभा चुनाव में योगी ने प्रतिष्ठा का प्रश्न बना लिया था और उनकी वजह से ही विपिन सिंह की मामूली अंतर से जीत हुई थी। योगी यहां से लड़ते हैं तो पार्टी का आधार भी और मजबूत होगा। वैसे भी पहले गोरखपुर शहर और ग्रामीण इलाके को मिलाकर दो सीटें थीं, गोरखपुर नगर और मानीराम। मानीराम गोरक्षपीठ की परंपरागत सीट रही है। क्षेत्र से यह लगाव भी उनके यहां से लड़ने की चर्चाओं को बल दे रहा है। इसी तरह उप मुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य के फाफाम≈ या फिर उनके पुराने क्षेत्र सिराथू से चुनाव लड़ने की संभावना जताई जा रही है।