जरूरत है आज के दौर में एजुकेशन सिस्टम को बदलने की: काजोल
एक न्यूज़ पोर्टल में बातचीत में काजोल ने एजुकेशन सिस्टम के बारे में अपने विचार बातए है की एजुकेशन सिस्टम ठीक नहीं है। शिक्षा व्यवस्था ऐसी है कि बच्चों को पढ़ना-लिखना बोझ लगता है। वह पढ़ाई पूरी करने के बाद राहत की सांस लेते हैं। काजोल इन दिनों अपनी रिलीज़ के लिए तैयार फिल्म ‘हेलीकाप्टर ईला’ के प्रमोशन में जुटी हैं। फिल्म में वह ऐसी सिंगल मदर बनी है, जो अपने बेटे की परवरिश में अपने शौक और जिंदगी को जीना भूल जाती हैं। काजोल कहती हैं, ‘मुझे लगता है कि हर जनरेशन के बच्चे यही सोचते हैं कि उनका समय और माहौल सबसे अच्छा है। मेरी माँ सोचती है कि जिस समय वह पली-बढ़ीं उनका वक्त सबसे बेस्ट था, मैं अपना बचपन बेहतर मानती हूं और मेरे बच्चे भी यही सोचते होंगे कि वह जिस समय में बड़े हो रहे हैं वह कमाल का है। सच बात तो यह है कि दुनिया बदल गई है, मिटटी और पानी भी बदल गया है। मेरा बचपन तो ऐसा था कि मैं लोनावला की सड़कों में अकेले घूमा करती थी, किसी बात का कोई डर नहीं था। आज डर बढ़ गया है। सबसे जरूरी है आज हम अपने बच्चों से लगातार बात करते रहें, हमेशा बच्चों से अपनी ही पसंद की बातें नहीं, बल्कि उनकी पसंद की बातें भी करें। आजकल के बच्चे सबकुछ बहुत जल्दी सीख लेते हैं और अडल्ट बातें भी करते हैं।’ आज के एजुकेशन सिस्टम पर सवाल उठाते हुए काजोल ने कहा, ‘आज की शिक्षा व्यवस्था पर सुधार की जरूरत है। आज स्कूल में पढ़ाई से ज्यादा रटने की बात सिखाई जाती है। आज जब बच्चे स्कूल खत्म करते हैं तब उन्हें लगता है, जैसे कोई बहुत बड़ा बोझ कम हो गया हो और वह राहत की सांस लेते हैं। कहने का मतलब है कि बच्चों में पढ़ाई बोझ बन गई है। बच्चे पढ़ाई के नाम पर भागते हैं। मैंने खुद अपनी पढ़ाई पूरी करने के बाद असली पढ़ाई की। मैंने अपनी मां की लाइब्रेरी में रखी सारी किताबों को पढ़कर ज्ञान अर्जित किया है।’