जागरूकता केवल दिवस पर ही क्यों ?
देश में जब भी जागरूकता रूपी दिवस मनाई जाती है उस दिवस पर जो भी जागरूकता का संदेश या कार्य संदेश होता है वह उसी दिन के लिए क्यों सिमट जाती है यह एक सोचनीय विषय है | वैसे तो देश में जागरूकता रूपी दिवस अधिकांशतः मानते है परन्तु हम बात करेंगे मुख्यतः अंतर्राष्ट्रीय पर्यावरण दिवस , विश्व नशा मुक्ति दिवस, अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस पर | सबसे पहले अंतर्राष्ट्रीय पर्यावरण दिवस की बात करें तो देश में सरकारी और गैर सरकारी संगठन पौधे लगाने के साथ साथ पेड़ को न काटने रूपी संदेश और इस पर उस दिन अधिकाधिक संख्या में पौधे भी लगाने का कार्य करते है परन्तु अंतर्राष्ट्रीय पर्यावरण दिवस के कुछ ही दिन क्या उसके अगले दिन ही पौधे लगाने की परम्परा और संदेश धराशायी हो जाता है | यदि उस दिन पौधे लगाने से अच्छा जो पौधे या पेड़ लगे हुए है उनके संरक्षण की सत्य शपथ ले तो पर्यावरण का समाधान रूपी परिणाम कुछ और ही होता | ऐसे ही अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस पर पूरे विश्व के लोग उस दिन सुबह अनेक कार्यक्रम के माध्यम से योग करने निकल देते है परन्तु ठीक अगले दिन योग करने का जूनून समाप्त हो जाता है है | ऐसा ही हाल विश्व नशा मुक्ति दिवस का है जो उस दिन ही जागरूकता का पिटारा खुलता है | मेरा मानना है की यदि सभी लोग जागरूकता दिवस के अतिरिक्त अन्य दिन भी उस दिवस का पालन करें तो नई पीढ़ी के लिए जीवन रूपी अच्छा मार्ग बना सकते है |
सम्पादक – अरुण कुमार यादव