झुमैला हमारी संस्कृति की आत्मा है; रावत
स्वतंत्रता दिवस की पूर्व संध्या पर नगर निगम प्रेक्षागृह में संस्कृति विभाग द्वारा आयोजित सांस्कृतिक महोत्सव का मुख्यमंत्री हरीश रावत ने दीप प्रज्वलित कर शुभारंभ किया। इस अवसर पर मुख्यमंत्री रावत ने कहा कि झुमैला हमारी संस्कृति की आत्मा है। राज्य के लोक गीत व संस्कृति को झुमैलो के रूप में पहचान दिलायी जाय। झुमैलो को पूरे देश दुनिया में एक ब्राण्ड के रूप में विकसित किया जाना होगा। मुख्यमंत्री रावत ने कहा कि हमारा प्रयास है कि सांस्कृतिक पर्यटन के माध्यम से आने वाले 4-5 वर्ष में पूरी देश-दुनिया को उत्तराखण्ड की ओर आकृषित किया जाय। उन्होंने कहा कि राज्य सरकार राज्य स्थापना दिवस के अवसर पर 8 नवम्बर को ऐसे ही कार्यक्रम को और वृहदरूप में आयोजित करेगी। जिसमें प्रयास होगा कि हमारे गांव-गलियान में गाये जाने वाले लोक संगीत को मूल रूप में प्रस्तुत किया जाय। हमारे कला और वाद्य यंत्र विलुप्त होते जा रहे है, इसके लिए हमारा प्रयास है कि अपनी प्राचीन कलाओं और वाद्य यंत्रों को प्रोत्साहित किया जाय। जागर को प्रोत्साहन दिया जायेगा। राज्य गीत व राज्य वाद्य घोषित करने के लिए समितियां गठित कर दी गई है। एपण को प्रोत्साहित किया जा रहा है, ताकि इस कला को आजीविका से जोड़ा जा सके। आज कला और संस्कृति को संरक्षित करने की आवश्यकता है। मुख्यमंत्री रावत ने इस अवसर पर झुमैलों में प्रथम, द्वितीय व तृतीय स्थान प्राप्त करने वाले सांस्कृतिक दलों को पुरस्कृत किया। इनमें झूमझुमैलो नृत्य संगम डोईवाला को प्रथम पुरस्कार के रूप में दो लाख रुपये, सुर संगम सांस्कृतिक समिति, नई टिहरी को द्वितीय पुरस्कार के रूप में एक लाख रुपये तथा महिला मंगल दल पौड़ी को तृतीय पुरस्कार के रूप में 75 हजार रुपये धनराशि दी गई। इस अवसर पर सांस्कृतिक दलों द्वारा अपनी प्रस्तुतियां भी दी गई। हेमंत बिष्ट द्वारा कुमांऊनी तथा नीता कुकरेती द्वारा गढ़वाली काव्य पाठ किया गया।कार्यक्रम में पर्यटन मंत्री दिनेश धनै, संस्कृति संवर्धन एवं संरक्षण समिति के अध्यक्ष जोत सिंह गुनसोला, विधायक राजकुमार, लोक गायक नरेन्द्र सिंह नेगी, रतन सिंह जौनसारी, जुगल किशोर पेठशाली सहित अन्य गणमान्य लोग उपस्थित थे।