तप और श्रद्धा आध्यात्मिक जीवन के बड़े तत्व हैंः स्वामी रामदेव
हरिद्वार | योग गुरू बाबा रामदेव महाराज ने कहा कि तप और श्रद्धा आध्यात्मिक जीवन के बड़े तत्व हैं। चुनौतियों के बीच अपने लक्ष्य की ओर बढ़ना ही तप है। भूपतवाला स्थित ब्रह्म्निवास आश्रम के परमाध्यक्ष महामण्डलेश्वर स्वामी परमात्मदेव के स्वर्ण जयंती महोत्सव व स्वामी कृष्णदेव महाराज के पट्टाभिषेक के अवसर पर आयोजित संत सम्मेलन के दौरान उपस्थित श्रद्धालुओं को संबोधित करते हुए बाबा रामदेव ने कहा कि संत को सबसे अधिक प्रसन्नता सुयोग्य शिष्य मिलने पर होती है। स्वामी कृष्णदेव महाराज के रूप में स्वामी परमात्मदेव कोसुयोग्य शिष्य मिला है। विद्वान संत के रूप में स्वामी कृष्णदेव महाराज स्वामी परमात्मदेव के संकल्पों को पूरा करेंगे। बाबा रामदेव ने कहा कि देश कईचुनौतियों से घिरा हुआ है। कृषि, चिकित्सा, शिक्षा खतरे में हैं। धार्मिक, राजनीतिक, सामाजिक षड़यंत्र रचे जा रहे हैं। युवा पीढ़ी नशे की आदी हो रही है। परिवार टूट रहे हैं। ऐसे में संत समाज की भूमिका एक बार फिर महत्वपूर्ण हो गयी है। भारत संतों का देश है। संतों ने इस देश को बनाया है। देश को बचाने के लिए संत समाज को बड़ी भूमिका अदा करनी होगी। संतों के सानिध्य में ही तमाम समस्याओं का समाधान होगा और भारत विश्व का गौरव बनेगा। महामण्डलेश्वर स्वामी परमात्मदेव महाराज ने कहा कि जिस स्थान पर संत एकत्र होते हैं। वह स्थान बैकुण्ठ के समान पवित्र हो जाता है। महामण्डलेश्वर डा.स्वामी श्यामसुंदरदास शास्त्री, महंत ज्ञानदेव सिंह महाराज, म.म.स्वामी कपिल मुनि, श्रीमहंत विनोद गिरी, म.म.स्वामी प्रबोधानन्द गिरी, स्वामी हरिचेतनानन्द, स्वामी ऋषि रामकृष्ण, स्वामी आलोक गिरी, स्वामी शिवानन्द भारती, स्वामी ऋषिश्वरानंद, महंत मोहन सिंह, महंत तीरथ सिंह, स्वामी चिदविलासानंद, स्वामी जगदीशानंद, महंत सूरजदास, स्वामी रविदेव शास्त्री, स्वामी हरिहरानंद, महंत जमनादास, स्वामी ललितानंद गिरी, स्वामी शिवशंकर गिरी, स्वामी प्रेमानंद, महंत साधनानंद, महंत कमलदास, महंत दिनेश दास, महंत डोंगर गिरी, स्वामी आशुतोष पुरी, शिवम महंत, महंत प्रेमदास, साध्वी रमादेवी, योगी श्रद्धानंद, पार्षद अनिरूद्ध भाटी, विनीत जौली, अनिल मिश्रा, विदित शर्मा आदि सहित बड़ी संख्या में श्रद्धालु व भक्तगण उपस्थित थे।