दून के स्टार्टअप सनफॉक्स की एक पहल
देहरादून। सोनप्रयाग में 3 महीने के निशुल्क ईसीजी शिविर में नियमित आंकड़ों की तुलना में कम मृत्यु दर का आकलन किया गया। केदारनाथ यात्रा के दौरान कई यात्रियों की हार्ट अटैक से मौत हो रही थी। यात्रा के दौरान यात्रियों की मौत के पीछे समय पर दिल की जांच नहीं हो पाना भी एक वजह रहती है। इसी को देखते हुए दून के स्टार्टअप सनफॉक्स ने एक पहल ‘स्पंदन फाउंडेशन’ के मध्यम से कैंप लगाकर यात्रियों की निशुल्क ईसीजी जांच की । महामारी के कारण दो साल के अंतराल के बाद इस साल मई में चार धाम यात्रा के एक हिस्से केदारनाथ यात्रा की फिर से शुरुआत हुई। इस साल 6 मई से 24 अक्टूबर तक खुला मंदिर, केवल तीन महीनों में 2019 में जितने तीर्थयात्री आए थे, उतने तीर्थयात्री आए। हालांकि, मौतों की संख्या भी अभूतपूर्व रही है। उत्तराखंड के स्वास्थ्य विभाग के मुताबिक, करीब 100 लोगों की जान चली गई, जिनमें ज्यादातर दिल का दौरा पड़ने से मारे गए। उच्च ऊंचाई पर कम ऑक्सीजन का स्तर और कम तापमान, साथ में एक अनियंत्रित रोगग्रस्त हृदय के साथ ट्रेकिंग के शारीरिक तनाव का कारण हो सकता है। हृदय रोग (दिल का दौरा और स्ट्रोक) भारत और दुनिया भर में मौत का प्रमुख कारण हैं। 2020 के लिए रिपोर्ट ऑन मेडिकल सर्टिफिकेशन ऑन कॉज ऑफ डेथ के अनुसार, 2020 में भारत में हर तीन में से एक मौत हृदय रोगों के कारण हुई थी। सबसे अधिक प्रभावित जनसांख्यिकीय 70 वर्ष से अधिक उम्र के लोग हैं, हालांकि हाल ही में युवा लोगों में दिल के दौरे से होने वाली मृत्यु दर में वृद्धि ने सभी का ध्यान हृदय रोग की संभावित छिपी हुई महामारी की ओर मोड़ दिया है। 53 वर्ष की आयु में गायक के.के. की मृत्यु ने दिल के दौरे के लक्षणों के बारे में जागरूकता की कमी और कोलकाता जैसे प्रथम श्रेणी के शहरों में भी प्रारंभिक देखभाल तक पहुंच की कमी को उजागर किया।