पहचान : उत्कृष्ट सेवा के लिए 10 लोगों को दिया गया तृतीय मानवाधिकार संरक्षण रत्न सम्मान
देहरादून। देहरादून स्थित मानव अधिकार संरक्षण केन्द उत्तराखंड द्वारा राजपुर रोड स्थित एक होटल में अंतर्राष्ट्रीय मानवाधिकार दिवस पखवाडा धूम धाम से मनाया गया। 10 दिसंबर 1948 को पहली बार संयुक्त राष्ट्र ने मानवाधिकारों को अपनाने की घोषणा की। उसके बाद हर साल 10 दिसंबर को दुनिया भर में अंतर्राष्ट्रीय मानवाधिकार दिवस के तौर पर मनाया जाता है। इसी क्रम में मानव अधिकार संरक्षण केन्द्र पिछले नौ सालों से लगातार अंतर्राष्ट्रीय मानवाधिकार दिवस मनाता आ रहा है। इस वर्ष भी इसी क्रम में मानव अधिकार संरक्षण पखवाड़ा के अंतर्गत गोष्ठी एवं सम्मान समारोह का आयोजन किया गया। इस अवसर पर मानव अधिकार सरंक्षण केन्द्र द्वारा सामाजिक क्षेत्र में उत्कृष्ट योगदान देने वाले 10 लोगों को भी मानव अधिकार संरक्षण रत्न देकर सम्मानित किया जाता है।
इस बार इस कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के रूप में न्यायमूति (से.नि.) राजेश टंडन, भूतपूर्व न्यायाधीश, नैतीताल हाईकोर्ट एवं पूर्व सदस्य, उत्तराखंड मानव अध्किार आयोग एवं पूर्व अध्यक्ष उत्तराखंड राज्य विधि आयोग मौजूद रहे। इस अवसर पर अति विशिष्ट अतिथि के रूप में गढ़वाल परिक्षेत्र के पुलिस उपमहानिरीक्षक करण सिंह नगन्याल (आईपीएस) मौजूद रहे। इसके साथ ही कार्यक्रम की अध्यक्षता उत्तराखड राज्य पुलिस शिकायत प्राधिकरण के सचिव एवं सत्र न्यायाधीश अब्दुल कययूम, (एच.जे.एस.) ने की। साथ ही इस कार्यक्रम में विशिष्ट अतिथि के रूप में देहरादून खादी ग्रामोद्योग बोर्ड की अध्यक्ष डॉ. अलका पांडेय एवं फिक्की फ्लो, उत्तराखंड चौप्टर की अध्यक्ष नेहा शर्मा रहीं। इस अवसर पर सर्वप्रथम वरिष्ठ उपाध्यक्ष डॉ. सुनील अग्रवाल द्वारा कार्यक्रम के बारे में विस्तार से जानकारी दी गई। इसके साथ ही न्यायमूति (से.नि.) राजेश टंडन ने मानव अधिकार संरक्षण केन्द्र उत्तराखंड के गठन एवं उसके द्वारा किए गए कार्यों के बारे में विस्तार से बताया। इसके बाद अति विशिष्ट अतिथि के रूप में उपस्थित रहे करण सिंह नगन्याल (आईपीएस) ने कार्यक्रम के आयोजन कर्ताओं को बधाई दी। साथ ही उन्होंने पुलिस एवं मानव अधिकारों के समन्वय के बारे में विस्तार से बताया। इसके अलावा कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रहे देहरादून के सत्र न्यायाधीश अब्दुल क़य्यूम ने कहा कि किस प्रकार भारत की न्यायपालिका दूसरों से अलग है और सदैव मानव अधिकारों को ध्यान में रखकर सबको साथ लेकर चलती है। कार्यक्रम में विशिष्ट अतिथि के रूप में उपस्थित रही देहरादून खादी ग्रामोद्योग बोर्ड की अध्यक्ष डॉ. अलका पांडेय ने कहा कि आगे जाकर खादी ग्रामोद्योग बोर्ड एवं मानव अधिकार संरक्षण केन्द्र आपस में मिलकर महिलाओं को उनके अधिकारों के बारे में जागरूक करने के लिए इस तरह के कार्यक्रमों का आयोजन करेंगे। साथ ही फिक्की फ्लो, उत्तराखंड चौप्टर की अध्यक्ष नेहा शर्मा ने कहा कि फिक्की फ्लो भी मानव अधिकार संरक्षण केन्द्र के साथ जुड़कर इस तरह के मानव अधिकारों से जुड़े कार्यक्रम आयोजित करेगा। इस अवसर पर महासचिव कुंवर राज अस्थाना ने मानव अधिकार संरक्षण केन्द्र द्वारा 9 साल में किए गए कार्यों एवं कार्यक्रमों के बारे में विस्तार से बताया। उन्होंने बताया कि किस प्रकार आपदा के बाद पुलिस कर्मियों एवं एसडीआरएफ द्वारा किए गए रेस्क्यू ऑपरेशन में शामिल रहे लोगों को सम्मानित किया गया इसके अलावा कोरोना काल में उत्कृष्ट कार्य करने वाले लोगों को कोरोना वारीयर्स सम्मान दिया गया। इस तरह से न जाने कितने कार्यक्रम किए गए। इस अवसर पर सामाजिक क्षेत्र में उत्कृष्ट योगदान देने के लिए हर्षल फाउडेशन की संस्थापक रमा गोयल को, अरिहंत अस्पताल के महाप्रबंधक डॉ. अभिषेक जैन, अरिहंत अस्पताल की वरिष्ठ स्त्री एवं प्रसुति रोग विशेषज्ञ डॉ विदुषी जैन, दून डिफेंस एकेडमी की उपनिदेशक दिव्या असवाल गुप्ता, समाज सेवी एवं नगर निगम पार्षद अभिषेक पंत, आयुर्वेदिक फिजिशियन वैद्य शिखा प्रकाश, ताहिर हसन, रहमान सिद्दकी, सुलेमान सिद्दकी, राहुल कुमार आदि को सम्मानित किया। कार्यक्रम में मानव अधिकार संरक्षण केन्द्र उत्तराखंड के वरिष्ठ उपाध्यक्ष डॉ. सुनील अग्रवाल, महासचिव कुंवर राज अस्थाना, कोषाध्यक्ष पी.के. जैन,सचिव राजीव वर्मा, देहरादून चौप्टर के अध्यक्ष अकबर सिद्दकी, सचिव एस.पी. सिंह, वैभव गोयल, सहस्त्रधारा रोड जनकल्याण समिति के महासचिव सुदेश शर्मा आदि मौजूद रहे।