पहचान : कॉमेंटेटर अलंकार गौतम ने लोगो के दिलो में बनाई अपनी अलग पहचान
देहरादून | जब दिल मे सच्चे मन से चाहत हो तो हर एक नामुमकिन दिखने वाले कार्य मुमकिन हो ही जाते है यह लाइन देहरादून के अलंकार गौतम पर सटीक बैठते है | विदिति हो कि अलंकार गौतम आज पूरे उत्तर भारत में एक कॉमेंटेटर के तौर पर अलग ही पहचान बना चुके हैं | देहरादून के आईआईपी ग्राउंड से शौकीया कॉमेंटरी करने वाले अलंकार आज पंजाब, हरियाणा,उत्तर प्रदेश,राजस्थान,मध्य प्रदेश,मुंबई,इसके अलावा नेपाल भी अपनी आवाज़ का जादू कॉमेंटरी के माध्यम से बिखेर रहे हैं | अलंकार उत्तर भारत में तो आयोजकों की पहली पसंद माने जाते है और सबसे बड़ी बात ये है की अलंकार लगभग हर खेल में कॉमेंटरी करते हैं वो चाहे क्रिकेट हो फुटबाल हो हाकी हो वॉलीबाल हो कबड्डी हो या फ़िर बौक्सिंग, बौक्सिंग में तो कॉमेंटरी में उन्हें उत्तराखण्ड के पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत ने उनकी प्रतिभा को पहचानते हुए मौका भी दिया, इसके अलावा वो वॉलीबाल में ओएनजीसी और पोस्टल डिपार्ट्मेंट देहरादून के औफिशल कॉमेंटेटर हैं, साथ ही उत्तराखण्ड कबड्डी स्पोर्ट एसोशिएशन भी उन्ही की सेवाएं लेता है |
इस तरह हुआ अलंकार के कॉमेंटरी का सफर..
अलंकार ने बताया की उन्हें सबसे पहले सन 2000 में सबसे पहले आई आई पी ग्राउंड में प्रदीप सिंह जो की मशहूर अदाकार (अर्चना पूरन सिंह )के भाई हैं ने उनको एक ग्रामीण टूर्नामेंट में सुना और फ़िर अपने एक राज्य स्तरीय टूर्नामेंट में आमंत्रित किया, उस समय क्योंकि कॉमेंटरी में पैसे नही मिलते तो अलंकार नौकरी के लिये पंजाब चले गए | लेकिन 2010 में उत्तरा खण्ड के दक्षिण एशिया में के सबसे प्रतिष्ठत टूर्नामेंट उत्तरा खण्ड गोल्ड कप में | भुपेन्द्र बर्री जो की खुद एक उत्तराखण्ड क्रिकेट के पूर्व में जबरदस्त खिलाड़ी रहे हैं उन्होनें उन्हें उत्तराखण्ड गोल्ड कप में मौका दिया यहां उन्हें बीसीसीआई के पूर्व मीडिया मैनेजर, आईपीएल राजस्थान रॉयल के मीडिया मैनेजर साथ ही पूर्व में राजस्थान क्रिकेट एसोशिएशन सीईओ अनंत व्यास ने राजस्थान की राजधानी जयपुर में ज्वैलर्स प्रिमियर लीग में कॉमेंटरी के लिये आमंत्रित किया इसके बाद उन्हे अजबपुर यंग्स्टर्स के अध्यक्ष अनिल डोभाल ने उत्तराखण्ड आंदोलन में शहीद हुए उत्तराखण्ड शाहीद गिरीश भद्द्री मेमोरियल क्रिकेट टूर्नामेंट में आमंत्रित किया, उसके बाद उत्तराखण्ड के बेहतरीन खिलाड़ी और उत्तराखण्ड पुलिस के जवान रवि बिष्ट ने उन्हें पंजाब के फीरोजपुर में टूर्नामेंट में परिचित करवाया इसके उपरांत आज अलंकार पंजाब के हर बड़े क्रिकेट टूर्नामेंट में आयोजकों की पहली पसंद हैं | इस दौरान क्योंकि कॉमेंटरी के लिये लगातार टूर्नामेंट नही होते तो आर्थिक संकट भी एक समस्या अलंकार के सामने थी यहां वो दो व्यक्तियों का धन्यवाद देते हैं एक अपनी जीवन संगनी सुशीला गौतम जिन्होने उन मुश्किलों भरे दिनों में उनका मनोबल गिरने नही दिया साथ ही मोहन सिंह नेगी जिन्होने उस मुश्किल दौर में अलंकार को आर्थिक सहायता प्रदान की , आज अलंकार खेलों की कॉमेंटरी में लोकप्रिय तो हो चुके हैं परंतु उन्हें एक शिकायत भी है की टीवी चैनलों ने कॉमेंटेटरर्स भविष्य चौपट कर दिया है | आज उन्हें कॉमेंटरी के लिए अंतराष्ट्रीय खिलाड़ी चाहिए होते हैं यही कारण है की आज खेल प्रेमी खेल देखते ज़रूर हैं मगर 90% से ज़्यादा लोग कॉमेंटरी सुनते नही या कॉमेंटरी में ध्यान नही देते कौन इन चैनलों को समझाए की कॉमेंटरी के भीष्म पिता माह सरदार जसदेव सिंह,सुशील दोषी (क्रिकेट कॉमेंटेटर )या फुटबाल के नो पी कपाड़ीया इन सभी के खेलों से जुड़े बेक ग्राउंड को खोजिए शायद ही किसी को मिले मगर जब भारत जब भी किसी खेल में जीतता था तब भारत की जीत के साथ कॉमेंटरी की चर्चा होती रहती थी |