प्रधानमंत्री कौशल विकास योजना- युवा सशक्तिकरण की नई दिशा
किसी भी देश के आर्थिक और सामाजिक विकास के लिए कौशल और ज्ञान दो प्रेरक बल हैं। वर्तमान वैश्विक माहौल में उभरती अर्थव्यवस्थाओं की मुख्य चुनौती से निपटने में वे देश आगे हैं जिन्होंने कौशल का उच्च स्तर प्राप्त कर लिया है।
किसी भी देश में कौशल विकास कार्यक्रम के लिए मुख्य रूप से युवाओं पर ही जोर होता है। इस मामले में हमारा देश अच्छी स्थिति में है। जनसंख्या का एक बड़ा हिस्सा उत्पादक आयु समूह में है। यह भारत को सुनहरा अवसर प्रदान करता है, परंतु एक बड़ी चुनौती भी पेश करता है। हमारी अर्थव्यवस्था को इसका लाभ तभी मिलेगा जब हमारी जनसंख्या विशेषकर युवा स्वस्थ, शिक्षित और कुशल होगी।
भारत के पास एक अतुलनीय युवा जनसंख्या है जिससे आने वाले समय में सामाजिक-आर्थिक विकास को जोरदार बढ़ावा मिलना तय है। हमारे पास 60.5 करोड़ लोग 25 वर्ष से कम आयु के हैं। रोजगार के लिए उपयुक्त कौशल प्राप्त करके ये युवा परिवर्तन के प्रतिनिधि हो सकते हैं। वे न केवल अपने जीवन को प्रभावित करने के काबिल होंगे बल्कि दूसरों के जीवन में भी बदलाव ला सकेंगे।
हाल में ही मंजूर की गई प्रधानमंत्री कौशल विकास योजना (पीएमकेवीवाई) युवाओं के कौशल प्रशिक्षण के लिए एक प्रमुख योजना है। इसके तहत पाठ्यक्रमों में सुधार, बेहतर शिक्षण और प्रशिक्षित शिक्षकों पर विशेष जोर दिया गया है। प्रशिक्षण में अन्य पहलुओं के साथ व्यवहार कुशलता और व्यवहार में परिवर्तन भी शामिल है।
नवगठित कौशल विकास और उद्यम मंत्रालय राष्ट्रीय कौशल विकास निगम (एनएसडीसी) के माध्यम से इस कार्यक्रम को क्रियान्वित कर रहा है। इसके तहत 24 लाख युवाओं को प्रशिक्षण के दायरे में लाया जाएगा है। कौशल प्रशिक्षण नेशनल स्किल क्वालिफिकेशन फ्रेमवर्क (एनएसक्यूएफ) और उद्योग द्वारा तय मानदंडों पर आधारित होगा। कार्यक्रम के तहत तृतीय पक्ष आकलन संस्थाओं द्वारा मूल्यांकन और प्रमाण पत्र के आधार पर प्रशिक्षुओं को नकद पारितोषिक दी जाएगी। नकद पारितोषिक औसतन 8,000 रूपए प्रति प्रशिक्षु होगी।
कौशल प्रशिक्षण एनएसडीसी द्वारा हाल ही में संचालित कौशल अंतर अध्ययनों के जरिए मांग के आकलन के आधार पर दिया जाएगा।
केन्द्र और राज्य सरकारों, उद्योग और व्यावसायिक घरानों से विचार विमर्श कर भविष्य की मांग का आकलन किया जाएगा। इसके लिए एक मांग समूहक मंच भी शुरू किया जा रहा है।
कौशल विकास के लक्ष्य निर्धारित करते समय हाल में ही लागू किये गय प्रमुख कार्यक्रम जैसे कि ‘मेक इन इंडिया, डिजिटल इंडिया, राष्ट्रीय सौर ऊर्जा मिशन और स्वच्छ भारत अभियान के मांगों को भी ध्यान में रखा जाएगा।
प्रधानमंत्री कौशल विकास योजना के तहत मुख्य रूप से श्रम बाजार में पहली बार प्रवेश कर रहे लोगों पर जोर होगा और विशेषकर कक्षा 10 व 12 के दौरान स्कूल छोड़ गये छात्रों पर ध्यान केंद्रित किया जाएगा। योजना का क्रियान्वयन एनएसडीसी के प्रशिक्षण साझेदारों द्वारा किया जाएगा। वर्तमान में लगभग 2,300 केंद्रों के एनएसडीसी के 187 प्रशिक्षण साझेदार हैं। इनके अलावा केंद्र व राज्य सरकारों से संबंधित प्रशिक्षण प्रदाता संस्थाओं को भी इस योजना के तहत प्रशिक्षण के लिए जोड़ा जाएगा। सभी प्रशिक्षण प्रदाताओं को इस योजना के लिए योग्य होने के लिए एक जांच प्रक्रिया से गुजरना होगा। पीएमकेवीवाई के तहत सेक्टर कौशल परिषद व राज्य सरकारें भी कौशल प्रशिक्षण कार्यक्रमों की निगरानी करेंगे।
योजना के तहत एक कौशल विकास प्रबंधन प्रणाली (एसडीएमएस) भी तैयार की जाएगी जो सभी प्रशिक्षण केंद्रों के विवरणों और प्रशिक्षण व पाठ्यक्रम की गुणवत्ता की जांच करेगी और उन्हें दर्ज भी करेगी। जहां तक संभव होगा प्रशिक्षण प्रक्रिया में बायोमिट्रिक सिस्टम व वीडियो रिकार्डिंग भी शामिल की जाएगी जो पीएमकेवीआई से जानकारी ली जाएगी जो पीएमकेवीआई की प्रभावशीलता का मूल्यांकन का मुख्य आधार होंगे। शिकायतों के निपटान के लिए एक प्रभावी शिकायत निवारण तंत्र भी शुरू किया जाएगा। इसके अलावा कार्यक्रम के प्रचार-प्रसार के लिए एक ऑनलाइन नागरिक पोर्टल भी शुरू की जाएगी।
कुल 1120 करोड़ रुपए के परिव्यय से 14 लाख युवाओं को प्रशिक्षित किया जाएगा और इसमें पूर्व शिक्षा-प्रशिक्षण को चिह्नित करने पर विशेष जोर दिया जा रहा है। इस मद में 220 करोड़ रुपए का प्रावधान किया गया है। युवाओं को जुटाने तथा जागुरुकता फैलाने के लिए 67 करोड़ रुपए का प्रावधान किया गया है। युवाओं को कौशल मेलों के जरिए जुटाया जाएगा और इसके लिए स्थानीय स्तर पर राज्य सरकारों, स्थानीय निकायों, पंचायती राज संस्थाओं और समुदाय आधारित संस्थाओं का सहयोग लिया जाएगा।
कौशल व उद्यम विकास वर्तमान सरकार की उच्च प्राथमिकताओं में शामिल है। नवगठित कौशल व उद्यम विकास मंत्रालय की ” मेक इन इंडिया” अभियान के लक्ष्यों को पूरा करने में महत्वपूर्ण भूमिका है। यह अभियान भारत को एक विनिर्माण केन्द्र के रूप में परिवर्तित करने के लिए अहम पहल है। विकासशील अर्थव्यवस्था के विनिर्माण क्षेत्र समेत सभी क्षेत्रों की मांग के अनुसार प्रशिक्षित कार्यबल तैयार करने में इस मंत्रालय की अहम भूमिका है।
इस दिशा में उठाये गए सभी उपायों को शामिल करने के लिए एक नयी राष्ट्रीय कौशल व उद्यम विकास नीति भी तैयार की गयी है। इस नीति के जरिए उच्च गुणवत्ता वाले कार्यबल के साथ विकास को बढ़ावा देने की रूपरेखा तैयार की जा रही है। वर्ष 2022 तक 50 करोड़ लोगों को प्रशिक्षित करने का लक्ष्य रखा गया है।
इस दिशा में प्रयास मिशन के तौर पर किया जा रहा है। राष्ट्रीय कौशल विकास मिशन के तहत तीन संस्थान कार्य कर रहे हैं। राष्ट्रीय कौशल विकास परिषद प्रधानमंत्री की अध्यक्षता में कौशल विकास प्रयासों को नीतिगत दिशा दे रही है और इनकी समीक्षा भी कर रही है। नीति आयोग के उपाध्यक्ष की अध्यक्षता में राष्ट्रीय कौशल विकास समन्वय प्रधानमंत्री की परिषद के नियमों को लागू करने के लिए रणनीतियों पर कार्य कर रहा है। एनएसडीसी एक गैर-लाभ कंपनी है और गैर संगठित क्षेत्र समेत श्रम बाजार के लिए कौशल प्रशिक्षण की जरुरतों को पूरा कर रही है।
भारत ने विश्व में सबसे तेजी से विकास कर रही अर्थव्यवस्था के रूप में अपनी पहचान बना ली है। उम्मीद है कि भारत शीघ्र ही विश्व की तीन सबसे बड़े अर्थव्यवस्थाओं में शामिल हो जाएगा। वर्ष 2020 तक भारत विश्व का तीसरा सबसे बड़ा विनिर्माण केन्द्र भी बन जाएगा। जनसंख्या के सकारात्मक कारकों और उच्च गुणवत्ता वाले कार्यबल की सतत उपलब्धता की मदद से हमारा देश विश्व अर्थव्यवस्था में विशेष छाप छोड़ सकता है।
भविष्य के बाजारों के लिए कौशल विकास से लेकर मानव संसाधन विकसित करने के लिए हाल में ही घोषित प्रधानमंत्री कौशल विकास योजना से अवश्य ही हमारी अर्थव्यवस्था को पूर्ण लाभ मिलेगा। नई नीति के तहत मिशन के तौर पर लागू की गई यह योजना मानव संसाधन और उद्योग के विकास में एक नए युग की शुरुआत करेगी।
*सुश्री अर्चना दत्ता एक स्वतंत्र लेखिका हैं और पूर्व महानिदेशक, डीडी न्यूज और महानिदेशक, एनएसडी (एआईआर) हैं।